मुख्यमंत्री ने दिल्ली में आज केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन व खेल राज्यमंत्री कर्नल राज्यवर्द्धन सिंह राठौर से मुलाक़ात कर प्रदेश के विकास पर चर्चा की।

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देहरादून (संवाददाता) : प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आज (शुक्रवार) को नई दिल्ली में केंद्रीय खेल राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्द्धन सिंह राठौर एवं केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन से भेंट की। खेल मंत्री ने मुख्यमंत्री के अनुरोध पर उत्तराखण्ड में सूटिंग रेंज स्थापित करने की सहमति प्रदान की।

मुख्यमंत्री केन्द्रीय खेल मंत्री बताया कि नैनीताल के हल्द्वानी में निर्माणाधीन अन्तर्राष्ट्रीय स्पोर्ट्स काॅम्पलेक्स में सभी खेल सुविधाओं को विकसित किया गया है। इसमें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम, इन्डोर स्टेडियम, स्वीमिंग पुल, आउट डोर स्पोर्ट्स फील्ड स्थापित किये गये हैं। मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी में काॅलेज आॅफ स्पोर्ट्स कोचिंग एवं स्पोर्ट्स मैनेजमेंट स्थापित किये जाने का अनुरोध केंद्रीय खेल मंत्री से किया।

मुख्यमंत्री केन्द्रीय खेल मंत्री को यह भी बताया कि पौड़ी के रांसी में आउटडोर स्टेडियम का निर्माण किया गया है। इस स्टेडियम में 400 मीटर का एथलेटिक्स ट्रैक, पवेलियन, खिलाड़ियों के लिए हाॅस्टल का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया। उन्होंने केन्द्रीय खेल मंत्री से रांसी स्टेडियम समुद्रतल से 6000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित होने के दृष्टिगत पौड़ी में हाई एल्टीट्यूड सेंटर खोले जाने का भी अनुरोध उन्होंने किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में होने वाले 38 वें राष्ट्रीय खेलों के लिए अवस्थापना सुविधाओं के निर्माण, अवस्थापना सुविधाओं के सृजन एवं प्रबंधन हेतु प्रस्ताव युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय को भेजा गया है। भेंट के दौरान मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र एवं खेल मंत्री कर्नल राठौर के मध्य महत्व पूर्ण चर्चा हुई कि  देहरादून स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में किस तरह से आगे काम किये जा सकते हैं। विशेषकर क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए इस स्टेडियम में कौन कौन सी ट्राॅफियां आयोजित की जा सकती हैं इस विषय पर भी चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री ने आज (शुक्रवार) केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन से भी  भेंट की। भेंट के दौरान मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने प्रदेश में वन भूमि हस्तांतरण तथा क्षतिपूर्ति सम्बंधी प्रावधानों में सरलीकरण, डिग्रेडेड फोरेस्ट लेण्ड ही क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिये उपलब्ध कराये जाने, भागीरथी इको सेंसेटिव जोन से सम्बंधित अधिसूचना के प्राविधानों में संशोधन किये जाने, केम्पा के प्राविधानों में सरलीकरण, 1000 मीटर से अधिक ऊचाई वाले क्षेत्रों में पेड़ कटान की अनुमति तथा जंगली सूअर से मानव एवं कृषि की रक्षा हेतु जंगली सूअरो को मारने की अनुमति दिये जाने आदि से सम्बंधित राज्य हित से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर आवश्यक सहमति प्रदान करने का अनुरोध किया।

इसके अतिरिक्त उन्होने वन अधिनियम के नियमों से राज्य में विकास परियोजनाओं में आ रही बाधाओं, प्रदेश के अन्तर्गत नियोजित विकास में सहयोग, बेहतर वन प्रबन्धन तथा मानव एवं कृषि को जंगली पशुओं से क्षति की रोकथाम हेतु भी समुचित उपाय किये जाने की आवश्यकता पर केन्द्रीय वन मंत्री से चर्चा की।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि प्रदेश का लगभग 71 प्रतिशत भाग वनाच्छादित होने के कारण विकास परियोजनाओं में न्यूनाधिक मात्रा में वन भूमि की आवश्यकता होती है। परन्तु वन भूमि हस्तांतरण की प्रचलित प्रक्रियाओं को पूर्ण करने में काफी समय लगने से विकास परियोजनाओं की गति धीमी हो जाती है।

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