देहरादून। उत्तराखंड में अंतर जिला और अंतर राज्यीय मार्गों पर संचालित होने वाले यात्री वाहन 75 फीसद यात्री क्षमता के साथ संचालित हो सकेंगे। उन्हें राज्य परिवहन प्राधिकरण द्वारा तय किराये पर ही यात्रियों को सफर कराना पड़ेगा। शासन ने कोविड कर्फ्यू में सरकार द्वारा वाहनों के संचालन के लिए जारी की कई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में यह व्यवस्था सुनिश्चित की है। अभी तक वाहनों का संचालन कुल क्षमता के दो-तिहाई यात्रियों को सफर कराने के हिसाब से हो रहा था।
एसओपी में यह भी स्पष्ट किया गया है कि दूसरे राज्यों से अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार आने वाले वाहनों में वाहन क्षमता का 75 फीसद और अधिकतम चार यात्री ही सफर कर सकेंगे। प्रदेश में कोरोना के कारण लगे कोविड कर्फ्यू के कारण सार्वजनिक सेवा वाले वाहनों का संचालन पूरी तरह प्रभावित था। सरकार ने इन वाहनों में 50 फीसद क्षमता के साथ अंतर जिला मार्गों पर संचालन की अनुमति दी थी। यह भी स्पष्ट किया गया था कि इस दौरान किराया बिल्कुल नहीं बढ़ाया जाएगा। वाहन स्वामी इसका विरोध कर रहे थे।
उनका कहना था कि आधी सवारी और पुराने किराये में वाहन चलाने का खर्चा भी नहीं निकलता। इस कारण उन्होंने वाहनों का संचालन तकरीबन ठप रखा। इस अवधि में केवल परिवहन निगम ही बसों का संचालन करता रहा। कोरोना संक्रमण के मामले कम होने पर सरकार ने अब वाहन संचालन में कुछ ढील देनी शुरू की है। इस कड़ी में अब अब सार्वजनिक वाहनों को 75 फीसद यात्री क्षमता से चलाने की अनुमति दी गई है। सचिव परिवहन डा. रंजीत कुमार सिन्हा द्वारा जारी आदेश के अनुसार वाहनों का संचालन सरकार द्वारा कोरोना को लेकर जारी मानकों के अनुसार किया जाएगा।
यात्रा के दौरान कोविड गाइडलाइन का पूरी तरह अनुपालन सुनिश्चत किया जाएगा। बाहरी राज्यों से आने वालों को 72 घंटे की अवधि की आरटीपीसीआर रिपोर्ट लानी अनिवार्य होगी। प्रदेश के चार मैदानी जिलों से पर्वतीय जिलों में जाने वाले वाहनों में चालक, परिचालक व यात्रियों को आरटीपीसीआर अथवा एंटीजन टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट लानी अनिवार्य होगी। उत्तर प्रदेश की सीमा से होते हुए गढ़वाल से कुमाऊं के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों की आरटीपीसीआर अथवा एंटीजन टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य नहीं होगी, लेकिन उन्हें स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा।