देहरादून। संवाददाता। आर्मी कैडेट कॉलेज कई लगनशील व दृढ़निश्चयी जवानों की राह प्रशस्त कर रहा है। एक सिपाही से अफसर बनने का सफर आसान नहीं होता। लेकिन, चुनौतियों से पार पाना इन्हें आता है। तब समय अनुकूल नहीं था और घर का भार एकाएक कंधों आ पड़ा। मगर, न उम्मीद छोड़ी और न सपना टूटने दिया। मन में रह-रहकर हिलोरे ले रही उम्मीद की बदौलत ही सफलता की दहलीज तक पहुंच गए।
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल व कला वर्ग में कमांडेंट सिल्वर मेडल प्राप्त करने वाले कोल्हापुर महाराष्ट्र के कैडेट पाटिल मनोज पांडुरंग के पिता पांडुरंग आनंदा पाटिल भी फौज में थे। वह रिटायर हवलदार हैं। उनकी यही तमन्ना थी कि बेटा फौज में अफसर बने।
मनोज ने तीन दफा सीडीएस का एग्जाम दिया पर सफलता नहीं मिली। ऐसे में वर्ष 2000 में एयरफोर्स में भर्ती हुए। लक्ष्य पर निगाह थी और लगातार इसके लिए मेहनत करते रहे। अब वह अफसर बनने की राह पर हैं।
कांस्य पदक विजेता फरीदाबाद हरियाणा के कपिल भी बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिता अमर चंद प्राईवेट नौकरी पर हैं। कपिल का सपना भी सेना में अफसर बनने का था। एनडीए का एग्जाम दिया पर सफल नहीं हुए। परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए 2012 में एयरफोर्स में भर्ती हुए। उम्मीद जिंदा रखी और लगन के बूते लक्ष्य पा लिया।
सर्विस सब्जेक्ट में कमांडेंट सिल्वर मेडल विजेता हिसार हरियाणा निवासी नवदीप शर्मा का एक ही सपना था। फौज में अफसर बनना। पिता महावीर शर्मा सामान्य किसान हैं। घर की परिस्थितियां ऐसी नहीं थीं कि ज्यादा वक्त इंतजार में बिताया जाए। ऐसे में 2006 में एयरफोर्स में भर्ती हुए। परिवार को संबल प्रदान किया और अपने सपनों को उड़ान। अब अफसर बनने की राह पर है।