देहरादून । आढ़त बाजार में साइकिल से टक्कर मारकर बुजुर्ग मुनीम के एक लाख रुपये चोरी करने के मामले में पुलिस ने 81 साल के शातिर मोहनलाल और उसके दो चेलों गिरफ्तार कर लिया।मोहनलाल के प्लान के अनुसार ही एक चेले ने बुजुर्ग को साइकिल से टक्कर मारी तो दूसरे ने बड़ी सफाई से जेब से एक लाख रुपये साफ कर दिए। सीसीटीवी फुटेज में आई तस्वीर के बाद पुलिस को उनके चेहरे बेनकाब करने में देर नहीं लगी। आरोपी दीपावली पर घर गए तो पुलिस के जाल में फंस गए।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अरुण मोहन जोशी ने बताया कि 21 अक्तूबर को आढ़त बाजार के कारोबारी अनुज भाटिया के मुनीम जगदीश प्रसाद को टक्कर एक लाख रुपये की नगदी चुरा ली गई थी। सीसीटीवी फुटेज के अवलोकन में कई संदिग्ध चेहरे सामने आए थे।तस्दीक ने दौरान पीड़ित ने साइकिल की टक्कर मारने वाले की पहचान की। घटनास्थल के आसपास एक बुजुर्ग और एक अन्य की उपस्थिति नजर आई। जांच के दौरान पता चला कि एक साल पहले भी मुरादाबाद के एक गैंग ने इस तरह की घटना अंजाम दी थी। इसी आधार पर पुलिस टीम को मुरादाबाद भेजा गया, जहां पर फोटो के आधार पर तीनों की पहचान हो गई।
एसएसपी ने बताया कि पुलिस को उम्मीद थी कि तीनों शातिर दीपावली पर घर जरूर आएंगे। पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से जाल बिछाकर तीनों आरोपियों हारून निवासी मोहल्ला खालसा मुरादाबाद (54), मोहम्मद गनी निवासी कपूर कंपनी रेलवे कालोनी मुरादाबाद (19) और मोहनलाल निवासी काशीराम कालोनी थाना मझोला मुरादाबाद (81) को 29 अक्तूबर को घर के पास से गिरफ्तार कर लिया।
एसएसपी ने बताया कि आरोपियों के पास से करीब 16 हजार रुपये बरामद हुए हैं। बाकी रकम स्मैक और जुए में उड़ा दी। एसपी सिटी श्वेता चौबे, सीओ सिटी शेखर सुयाल इस दौरान मौजूद रहे। उधर, आईजी अजय रौतेला ने पुलिस टीम को पांच हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है।
‘जेबकतरी में उम्र बाधा नहीं’
जेबकतरी में माहिर 81 साल के मोहनलाल को अपने कृत्य पर कोई अफसोस नहीं है। इस उम्र में भी उस पर अपराध करने का जुनून सवार है। मोहनलाल ने मीडिया से बातचीत में बड़ी बेबाकी से कहा कि ये तो एक आर्ट (कला) है और वह इसका प्रयोग करता है। इसमें उम्र की कोई बाधा नहीं है। शिकार को चिह्नित करने का काम मोहनलाल का होता था।
मुनीम जगदीश को मोहनलाल ने ही चुना था। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि पंजाब नेशनल बैंक में चेक जमा कराते समय मोहनलाल ने उसे भांप लिया था। मोहनलाल का इशारा मिलते ही उसके चेले हारून और गनी सक्रिय हो गए थे। गनी ने पहले जगदीश को टक्कर मारी, फिर हारून ने उसकी जेब से रकम साफ कर दी थी। बुजुर्ग मोहनलाल को इसलिए मुखबिरी पर लगाया जाता था, ताकि किसी को शक ना हो।
बस की छत रख लाए साइकिल
पुलिस अधीक्षक नगर श्वेता चौबे के मुताबिक मुरादाबाद के तीनों शातिर घटना में प्रयुक्त साइकिल मुरादाबाद से बस की छत पर रखकर लाए थे। घटना से पहले ही तीनों ने भागकर नजीबाबाद में मिलने की योजना बनाई थी। टक्कर मारने के बाद गनी तो साइकिल पर चला गया था। आरोपी रिस्पना पुल के पास लावारिस में साइकिल छोड़कर भाग गया था। जबकि मोहनलाल और हारून भी अलग-अलग रास्ते से नजीबाबाद पहुंचे थे।