देहरादून। संवाददाता। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के बाद मौजूदा भाजपा सरकार की अग्निपरीक्षा की घड़ियां निकट आ गई हैं। राज्य के 92 नगर निकायों के चुनाव के लिए सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की कवायद अंतिम दौर में पहुंच गई है। मिल रहे संकेतों के मुताबिक राज्य में अप्रैल मध्य में निकाय चुनाव संपन्न करा लिए जाएंगे। कारण यह है कि दो मई से पूर्व राज्यभर में निकायों के गठन की अनिवार्यता है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक सरकार को राज्य निर्वाचन आयोग से निकाय चुनाव का प्रारंभिक तौर पर तैयार कार्यक्रम मिल गया है।
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद अब भाजपा के समक्ष इसे आगामी निकाय चुनाव में भी दोहराने की बड़ी चुनौती है। राज्य के 92 नगर निकायों में एक साथ चुनाव होने हैं। इनमें आठ नगर निगम, 35 नगर पालिका परिषद और 49 नगर पंचायत शामिल हैं। इस दफा सरकार ने दो नए नगर निगमों कोटद्वार व ऋषिकेश का सृजन किया है जबकि 35 निकायों का सीमा विस्तार किया गया है। राज्य में नगर निकायों का गठन दो मई से पूर्व किया जाना है। इसका मतलब हुआ कि हर हाल में आगामी दो मई से पहले-पहल राज्य के सभी 92 निकायों में नए बोर्ड वजूद में आ जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव के लिए प्रारंभिक कार्यक्रम तय कर सरकार को सौंप दिया है। इसमें थोड़ा-बहुत बदलाव संभव है क्योंकि चुनाव को लेकर अंतिम निर्णय सरकार को लेना है। सूत्रों ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग मार्च मध्य, यानी 15-16 मार्च तक निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है।
इस लिहाज से अप्रैल के दूसरे या तीसरे सप्ताह में राज्य में निकाय चुनाव के लिए मतदान होने की संभावना है। इस बार निकाय चुनाव ईवीएम के जरिये नए परिसीमन के अनुसार होने हैं, लिहाजा मतगणना में लगने वाले वक्त की काफी बचत हो जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि प्रारंभिक कार्यक्रम के मुताबिक जनवरी आखिर तक सभी निकायों में वार्डों का परिसीमन तय करने साथ ही 15 फरवरी तक आरक्षण भी निर्धारित कर दिया जाएगा। अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक सभी निकायों के बोर्ड अस्तित्व में आ जाएंगे।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक सरकार को राज्य निर्वाचन आयोग से प्रारंभिक चुनाव कार्यक्रम प्राप्त हो गया है और सरकार इस संबंध में जल्द निर्णय लेने जा रही है।