देहरादून। संवाददाता। पछवादून में इन दिनों बायफ डेवलपमेंट रिचर्स फाउंडेशन की ओर से की जा रही समुदाय आधारित खेती ग्रामीण काश्तकारों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। फाउंडेशन ने देहरादून जिले के पछवादून स्थिततीन गांवों में साठ बीघा भूमि पर सब्जियों की संयुक्त खेती शुरू की है। इसके अलावा 27 परिवारों ने संयुक्त बागीचा तैयार कर उसमें अमरूद, नींबू व अखरोट के पौधे लगाए हैं। जबकि, भूमिहीन 12 परिवारों को मशरूम उत्पादन के माध्यम से आर्थिक संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं।
बायफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी करुणेश शुक्ला बताते हैं कि पछवादून के शाहपुर-कल्याणपुर, आदूवाला व कुंजा में कई परिवारों की संयुक्त भूमि पर सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। ताकि सभी परिवारों को उनकी कृषि भूमि से अपेक्षाकृत अधिक उत्पादन मिल सके।
इन दिनों मुख्य रूप से आलू, टमाटर, मटर व फ्रासबीन की खेती हो रही है। फाउंडेशन उत्पादन के साथ ही बाजार की सुविधा भी काश्तकारों को मुहैया करा रहा है।
पिछले कुछ सालों से खेती-किसानी के प्रति ग्रामीणों का मोह भंग हुआ है। इसका प्रमुख कारण जोत का आकार छोटा होना और वर्तमान तकनीकों का खेती, पर्यावरण व प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ने वाला दुष्प्रभाव है। नई तकनीक से मिट्टी को कृषि रसायन, मशीनीकरण और विवेकहीन दोहन मार रहा है।
इसके साथ ही छोटी जोत पर नई तकनीक का उपयोग काश्तकारों के लिए महंगा साबित हो रहा है। ऐसे में ग्रामीण किसान माटी से अपना संबंध तोड़ रहे हैं। लेकिन, इस सब के बीच बायफ फाउंडेशन पछवादून में किसानों के लिए संजीवनी बनकर आया है। फाउंडेशन जनजाति बहुल गांवों में छोटी जोत वाले काश्तकारों को सामूहिक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
ग्रामीण लीलावती व ईश्वरदास (शाहपुर) और राजकुमार (कुंजा) बताते हैं कि फाउंडेशन ने पहले चरण में आदूवाला, शाहपुर-कल्याणपुर व कुंजा गांव में ग्रामीणों की साठ बीघा जमीन पर समुदाय आधारित सब्जी उत्पादन शुरू किया है।
हर परिवार का सदस्य खेती की रखवाली करता है। उत्पाद बेचने को बाजार उपलब्ध होने से काश्तकारों को मंडी व बिचैलियों से तो निजात मिली ही, मेहनत भी का उचित मोल मिल रहा है। आदूवाला निवासी ललिता देवी बताती हैं कि खेती के लिए जमीन न होने के कारण जो 12 परिवार मजदूरी करने को मजबूर थे, वे अब फाउंडेशन के सहयोग से घर पर ही मशरूम उगा रहे हैं। मैं स्वयं घर के एक कमरे में मशरूम उगा रही हूं, जिससे अच्छी आमदनी मिल रही है।