पलायन, महिला सशक्तीकरण व शिक्षा के विषय के साथ बड़े पर्दे पर एक ओर उत्तराखंडी फिल्म माटी पहचान

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देहरादून। फार्च्युन टॉकीज मोशन पिक्चर्स ने अपनी पहली उत्तराखंडी फीचर फिल्म माटी पहचान का आधिकारिक टीजर(अध्याय एक-पहाड़ों की कहानी) जारी किया है। लखनऊ निवासी निर्माता फराज शेरे ने इस फिल्म का निर्माण किया है। जबकि निर्देशक हैं अजय बेरी।

यह फिल्म उत्तराखंडी समाज को इन दोनों की ओर से एक पलायन, महिला सशक्तीकरण का मजबूत संदेश देती है। जो टीजर जारी हुआ है उसमें यह लाइन प्रमुखता से उभरता है कि उत्तराखंड में दो तरह के लोग रहते हैं एक वो जो अपनी जरुरतों व महत्वाकांक्षाओं के लिए अपने गांव जमीन को छोड़ देते हैं और दूसरा वो जो यहीं रहकर यहां के संघर्ष को अपनाते हैं। फराज शेरे ने कहा कि यह विषय हमेशा उन्हें अपील करता था, चूंकि वह इस समस्या को करीब से देख व महसूस कर चुके हैं। यह कहानी जब उनके सामने आई तो उन्होंने फौरन इस पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया। माटी पहचान का मुख्य विषय व्यक्तिगत लाभ के लिए अपनी जमीन को छोड़ने के बजाय अपनी जड़ों से जुड़े रहना है।

यह फिल्म ऐसे समय में आ रही है जब पहाड़ में पलायन गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। यह फिल्म न सिर्फ पहाड़ों की कहानी है बल्कि यह अपने खोए हुए बच्चों को घर वापस बुलाती है। निर्देशक अजय बेरी को फिल्म निर्देशन का करीब बीस साल का अनुभव है। उन्होंने विषय को बड़ी संजीदगी से छुआ है। उनका मानना है कि उत्तराखंड में यदि अच्छे स्तर की क्षेत्रीय फिल्म की शुरूआत हेाती है तो राज्य में रोजगार के बहुत रास्ते इन फिल्मों के माध्यम से खुलेंगे।

फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में करण गोस्वामी, अंकिता परिहार हैं। संगीत राजन बजली का है। लेखक मनमोहन चौधरी, छायाकार फारूख खान, एडीटर मुकेश झा, कार्यकारी निर्माता प्रज्ञा तिवारी हैं। प्रज्ञा ने बताया कि फिल्म 23 सितम्बर से उत्तराखंड, दिल्ली, एनसीआर, मुबंई, लखनऊ के कुछ सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म हिंदी के अलावा कुछ हद तक कुमाऊंनी डायलॉग के साथ है। फिल्म की शूटिंग कोटाबाग, भीमताल, रामनगर आदि इलाकों में हुई है।

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