देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही अब व्यवस्थाएं लड़खड़ाने लगी हैं। अन्य जिलों की बात छोड़िए, राजधानी दून में ही मरीजों के लिए बेड कम पड़ने लगे हैं। स्थिति ये है कि मरीजों को एक से दूसरे अस्पताल भटकना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी आइसीयू को लेकर है। न तो सरकारी अस्पताल में आइसीयू बेड खाली हैं और न किसी निजी अस्पताल में हैं।
कोरोना संक्रमण के लिहाज से देहरादून में हालात विकट होते जा रहे हैं। अप्रैल माह में अब तक यहां 10804 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जो कि प्रदेश में आए कुल मामलों का 42 फीसद है। चिंता बढ़ाने वाली बात यह भी है कि कुछ वक्त पहले तक बहुत कम मरीजों को आइसीयू की जरूरत पड़ रही थी, वहीं अब काफी संख्या में मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच रहे हैं। ऐसे में सभी को आइसीयू बेड उपलब्ध करा पाना मुश्किल हो रहा है।
कोरोना काल में बेड बढ़े, मगर नाकाफी
ऐसा नहीं है कि कोरोनाकाल में अस्पतालों में आइसीयू बेड बढ़ाए नहीं गए। शहर के प्रमुख सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ही पहले सिर्फ पांच आइसीयू बेड थे, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 102 हो चुकी है। एम्स ऋषिकेश में 60 आइसीयू बेड कोरोना के उपचार के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन व आइसीयू बेड आरक्षित किए गए हैं। मगर, तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के कारण आइसीयू बेड की संख्या नाकाफी साबित हो रही है।
आइसीयू और वेंटिलेटर की जरूरत क्यों
कोरोना वायरस सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। इससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। हालत ज्यादा खराब होने पर मरीज को कृत्रिम ऑक्सीजन, आइसीयू और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
आइसीयू बेड की स्थिति
उपलब्ध बेड-खाली
दून मेडिकल कॉलेज:102-00
एम्स ऋषिकेश: 60-00
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल: 33-00
कैलाश अस्पताल: 45-00
मैक्स अस्पताल: 18-00
सिनर्जी अस्पताल: 09-00
वेलमेड अस्पताल: 14-00
अरिहंत अस्पताल: 19-00
सीएमआइ अस्पताल: 06-00