अखाड़ा परिषद से इस संत को कर दिया गया बाहर , ये आरोप हुए सही साबित

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हरिद्वार में संन्यास परंपरा के उल्लंघन के मामले में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की कार्यकारिणी ने संत आनंद गिरि को अखाड़ा से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। संत आनंद गिरि पारिवारिक मोहमाह में लौट गए थे। 13 मई को रुड़की हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने श्यामपुर कांगड़ी में संत आनंद गिरि का निर्माणाधीन तीन मंजिला आश्रम सील किया था। अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी के मुताबिक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का पंच परमेश्वरों को पत्र मिला था। पत्र में संत आनंद गिरि के संन्यास परंपरा के उल्लंघन का जिक्र किया था।अखाड़ा के पंच परमेश्वरों ने इसकी जांच की। जांच में संत आनंद गिरि के पारिवारिक संबंधों का खुलासा हुआ। साथ ही हनुमान मंदिर से अर्जित धनराशि घर भेजने की पुष्टि हुई। सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने बताया कि पंच परमेश्वरों की जांच के बाद अखाड़ा कार्यकारिणी पदाधिकारियों की अष्टकौशल मायापुर में बैठक हुई। इसमें सर्वसम्मति से संत आनंद गिरि को अखाड़ा से बाहर करने का प्रस्ताव पारित हुआ। संत आनंद गिरि अखाड़ा से पिछले 12 साल से जुड़े रहे। संत आनंद गिरि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के शिष्य थे। प्रयागराज में लेटे हनुमान मंदिर की गद्दी संभाल रहे थे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का कुछ रोज पहले पत्र मिला। जिसमें संत आनंद गिरि को पारिवारिक संबंध होने के कारण मंदिर से हटाने का जिक्र किया था और अखाड़ा स्तर पर भी इसकी जांच करवाने की बात कही गई थी। संत आनंद गिरि पर लगे आरोप सही पाए गए और उनको अखाड़ा से बाहर कर दिया।

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