अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर संतों की लड़ाई तेज हो गई है। 25 अक्तूबर को प्रयागराज में प्रस्तावित बैठक से पहले बृहस्पतिवार को सात अखाड़े अपने अध्यक्ष और महामंत्री के साथ कार्यकारिणी की घोषणा कर चुके हैं। इसके बाद से अब अखाड़ों में घमासान मच गया है। नई कार्यकारिणी को समर्थन करने वाले निर्मल अखाड़े में भी दो फाड़ हो गए हैं। निर्मल अखाड़े के एक धड़े ने 25 अक्तूबर को प्रयागराज की प्रस्तावित बैठक को समर्थन दे दिया है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि भी बैठक की तैयारियों को लेकर हरिद्वार से रवाना हो गए हैं।
13 अखाड़ों के समन्वय और कुंभ आयोजन के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बनी है। परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की 20 सितंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इसके बाद से अध्यक्ष की कुर्सी के लिए अखाड़ों में खींचतान मची है। परिषद महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि ने 25 अक्तूबर को प्रयागराज स्थित श्री निरंजनी अखाड़ा दारागंज में बैठक बुलाई है। इसमें अध्यक्ष पद के लिए आम सहमति बनानी हैं। बृहस्पतिवार को तीनों बैरागी अखाड़ों के साथ सात अखाड़ों ने अचानक परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री समेत कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। परिषद अध्यक्ष महानिर्वाणी के रविंद्रपुरी और महामंत्री राजेंद्र दास की घोषणा कर दी।
नई कार्यकारिणी के बाद से अखाड़ों की अंदरूनी घमासान भी खुलकर सामने आने लगा है। सात अखाड़ों में निर्मल अखाड़े के संत भी नई कार्यकारिणी के समर्थन में शामिल हुए। लेकिन शुक्रवार को निर्मल अखाड़े में ही घमासान मच गया। अखाड़े के महंत प्रेम सिंह ने कहा कि 25 अक्तूबर की प्रयागराज बैठक में निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रेशम सिंह और कोठारी महंत गोपाल सिंह और अन्य संत शामिल होंगे। जबकि निर्मल अखाड़े कोठारी महंत जसविंदर सिंह ने कहा कि बाबा प्रेम सिंह खुद को एक्कड़ कला शाखा का महंत घोषित कर दिया था। उन्होंने कहा कि 25 अक्तूबर की प्रयागराज बैठक का अब कोई औचित्य नहीं है। वहीं, अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि शुक्रवार को हरिद्वार से रवाना हो गए। वृंदावन के बाद हरिगिरि प्रयागराज पहुंचेंगे और बैठक को लेकर तैयारियां करेंगे।