आज 15 अप्रैल गुरुवार को जाखधार स्थित जाख मंदिर में केदारघाटी के आराध्य यक्षराज जाख देवता, धधकते अंगारों पर नृत्य करेंगे। अनुष्ठान के लिए ग्रामीणों द्वारा मंदिर परिसर में सैकड़ों कुंतल लकड़ी से लगभग 12 फीट ऊंचा यज्ञकुंड (मूंडी) तैयार है, जिसमें विशेष पूजा-अर्चना के बाद अग्नि प्रज्जवितल की गई। इसके बाद रात्रिभर यहां चार पहर पूजा-अर्चना के साथ ग्रामीणों के द्वारा जागरण किया जाएगा।बैशाखी के पर्व पर दोपहर बाद नारायणकोटी व कोटेड़ा के ग्रामीण पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ विंधवासनी मंदिर देवशाल गांव पहुंचे। इस मंदिर में भगवान जाख देवता की मूर्ति विराजमान है। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर पुजारियों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना के साथ ही अन्य सभी धार्मिक परपंराओं का निर्वहन किया गया।इस मौके पर विधि-विधान के साथ रिंगाल से बनी कंडी का फूल-मालाओं से श्रृंगार करते हुए भगवान जाख देवता की मूर्ति विराजमान की गई। इस मौके पर पूरा क्षेत्र आराध्य के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद महिलाओं के मांगल व जागरों के साथ रास्ते का शुद्धिकरण करते हुए जाख देवता ने अपने जाखधार स्थित मंदिर के लिए प्रस्थान किया।
इस दौरान पूरा क्षेत्र जाख देवता के जयकारों से गूंज उठा। विधि-विधान के साथ कंडी में विराजमान मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। इस मौके पर पुजारियों द्वारा पूजा-अर्चना करते हुए धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया।
यहां मंदिर परिसर में सैकड़ों कुंतल लकड़ी से 12 फीट ऊंचा यज्ञकुंड तैयार किया गया है, जिसे स्थानीय भाषा में मूंडी कहा जाता है, की पूजा-अर्चना की गई। रात्रि आठ बजे पुजारियों द्वारा विशेष अनुष्ठान के साथ यज्ञकुंड में अग्नि प्रज्जवलित की गई। इसके बाद रात्रि चार पहर आराध्य की पूजा-अर्चना होगी।
गुरुवार दोपहर बाद नारायणकोटी से जाख देवता के पश्वा मदन सिंह राणा भक्तों के साथ नाराणकोटी, कोठेड़ा होते हुए विंधवासनी मंदिर पहुंचेंगे। यहां पर अल्प विश्राम के बाद देवशाल के वेदपाठियों के साथ देवता के पश्वा दो बजे जाखधार मंदिर पहुंचेंगे। जहां पर परंपरानुसार पूजा-अर्चना के साथ आराध्य धधकते अंगारों पर नृत्य करेंगे।
इस मौके पर पंडित मनोहर देवशाली, विनोद देवशाली, महेंद्र देवशाली, तुलसीराम देवशाली, विजय रावत, मनोहर देवशाली, पूर्व दायित्वधारी अशोक खत्री, सुरेंद्र दत्त नौटियाल समेत अन्य ग्रामीण मौजूद थे।