रुद्रप्रयाग। पंचकेदारों में शामिल तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शुक्रवार को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्केंडेय मंदिर मक्कूमठ में विराजमान होगी। गुरुवार को भगवान की डोली विभिन्न स्थानों से होते हुए रात्रि विश्राम के लिए भनकुन पहुंची। अब शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भगवान की पूजा-अर्चना संपन्न होगी।
गत बुधवार को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद भगवान की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए चोपता पहुंची थी। गुरुवार को सुबह आठ बजे आचार्यों व हक-हक्कूधारियों ने भूतनाथ मंदिर चोपता में भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली की विशेष पूजा-अर्चना कर भोग लगाया। इस दौरान स्थानीय लोगों ने भगवान तुंगनाथ के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। जैसे ही भगवान की डोली ने अपने अगले पड़ाव के लिए प्रस्थान किया, वैसे ही भक्तों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।
12 वर्षों बाद होगा शाही भोग
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन स्थल मक्कूमठ में शुक्रवार को भगवान की डोली आगमन पर 12 वर्षों बाद पौराणिक परंपरा के अनुसार शाही भोग का आयोजन किया जाएगा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अनुष्ठान के दौरान भक्तों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की मांग की है।
मक्कू के प्रधान विजयपाल नेगी ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजा। उन्होंने कहा कि तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद तीन नवंबर को भगवान की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी।
12 वर्षों बाद होगा शाही भोग
इस बार 12 वर्षों बाद पूर्व परंपरा के अनुसार से शाही भोग का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बड़ी संख्या में भक्त पहुंचकर भगवान का प्रसाद ग्रहण करेंगे। उन्होंने कहा कि शाही भोग कार्यक्रम प्रदेशभर में अलग-अलग प्रकार से आयोजित होता है।
प्रशासन से मांगी बुनियादी सेवाएं
विजयपाल नेगी ने कहा कि अनुष्ठान के सफल निर्वहन के लिए उन्होंने प्रशासन से बुनियादी सेवाएं देने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि क्षेत्र में एक दिवसीय कार्यक्रम में पर्याप्त संसाधनों के साथ प्राथमिक उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें एवं भक्तों के लिए पर्याप्त पेयजल मुहैया करवाने के लिए पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की जाए। कार्यक्रम स्थल के आस-पास के घरों के ऊपर झूल रही विद्युत लाइन को शिफ्ट किया जाए।