आज द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट विधि-विधान से शीतकाल के लिए सुबह 8 बजे बंद कर दिए जाएंगे। बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए गौंडार पहुंचेगी। रांसी, गिरीया होते हुए डोली 25 को ओंकारेश्वर ऊखीमठ मंदिर में छह माह की पूजा के लिए विराजमान हो जाएगी।
सुबह 5 बजे से मद्महेश्वर मंदिर में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना की गयी। आराध्य का शृंगार कर आरती व भोग लगाया जाएगा। साथ ही स्वयंभू लिंग को पुष्प, अक्षत व भस्म से समाधि रूप देकर पूजा की जाएगी। इसके बाद सुबह 7.30 बजे बाबा की भोग मूर्तियों को गर्भगृह से निकालकर चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान कर सभामंडप में किया गया।
यहां पर धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के साथ बाबा की चल उत्सव डोली मंदिर परिसर में मौजूद अपने ताम्रपात्रों और भंडार का निरीक्षण करेगी। सुबह 8 बजे मंदिर के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद किए गये। साथ ही बाबा की डोली मंदिर की तीन परिक्रमा के साथ ही अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।
देवदर्शनी, कटरा, खुन्नू, बणतोली होते हुए डोली दोपहर को गौंडार गांव पहुंचेगी। वहां पर ग्रामीणों द्वारा आराध्य को सामूहिक अर्घ्य लगाया जाएगा। यहां पर रात्रि जागरण भी किया जाएगा। देवस्थानम बोर्ड के यात्रा प्रभारी युद्धवीर सिंह पुष्पवाण ने बताया कि कपाट बंद होने से पूर्व मद्महेश्वर मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी व फूल-मालाओं से सजाया गया है।