अगर चमोली जिला उद्यान विभाग की योजना रंग लाई, तो बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब समेत पंच केदार मंदिरों को कपाटोद्घघाटन के अवसर पर स्थानीय काश्तकारों द्वारा उत्पादित गेंदे के फूलों से सजाया जाएगा। जिले में फूलों की खेती के लिए छह कलस्टर बनाए गए हैं। उत्पादित फूलों की बिक्री के लिए विभाग बाजार भी उपलब्ध कराएगा।
प्रतिवर्ष बदरीनाथ धाम सहित अन्य मंदिरों के कपाटोद्घघाटन और बंद होने की प्रक्रिया को दौरान मंदिरों को कई क्विंटल फूलों से सजाया जाता है। अभी मंदिर की सजावट के लिए मैदानी जिलों से फूल मगवाए जाते है। अकेले बदरीनाथ धाम में ही एक सीजन में करीब 45 क्विंटल फूलों की खपत होती है, जिसे देखते हुए उद्यान विभाग ने केंद्र पोषित योजना मिशन फॉर नार्थ हिमालया के तहत बाजपुर, मंडल घाटी, रैणी, बगोली और माणा में फूलों की खेती की योजना बनाई है।
परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत फूलों की खेती के लिए छह कलस्टर बनाए गए हैं। जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि फूलों की खेती पर जोर दिया जाएगा। काश्तकारों को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। उत्पादित फूलों की मठ-मंदिरों के साथ ही शादी समारोह व अन्य तीज त्योहारों के सीजन में भी बड़ी डिमांड रहती है।
काश्तकारों को दिया जाएगा बुके बनाने का प्रशिक्षण
फूलों की खेती करने वाले काश्तकारों को उद्यान विभाग की ओर से बुके (पुष्प गुच्छ) बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि शादी व अन्य किसी भी समारोह के लिए अभी तक बुके और फूलों के लिए ऋषिकेश व अन्य मैदानी क्षेत्रों में डिमांड दी जाती है। अब जिले में फूलों की खेती के साथ ही काश्तकारों को फ्लावर बुुके व गुलदस्ता बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। जिससे वे स्वरोजगार सेे आर्थिकी अर्जित कर सकें।
बदरीनाथ महायोजना का मास्टर प्लान तैयार
बदरीनाथ महायोजना का प्लान तैयार हो गया है। पहले चरण में अनुमानित 245 करोड़ की लागत से धाम के सौंदर्यीकरण के साथ तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के कार्य किए जाएंगे।