करीब डेढ़ साल के कारोनाकाल में पहली बार हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए कोई बंदिश नहीं थी। बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए बंदिश नहीं होने का असर भी दिखाई दिया। ऐसा सैलाब उमड़ा कि महाकुंभ के बैसाखी पर स्नान करने वालों से ज्यादा श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा पर डुबकी लगा गए। प्रशासन का दावा है कि शुक्रवार को 14 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। यही कारण है कि धर्मनगरी में सात माह बाद फिर कुंभ जैसा नजारा देखने को मिला।
कोरोना काल में जनवरी 2021 से शुरू हुए स्नान पर्वों के साथ ही मार्च व अप्रैल में हुए कुंभ के शाही स्नानों में कोरोना नियमों के साथ सबसे कम राम नवमी के स्नान पर्व के अवसर पर 21 अप्रैल को 82 हजार व सबसे ज्यादा 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या को 35 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। इसके बाद जून माह में गंगा दशहरा पर कोविड नियमों की सख्ती के चलते दो लाख के करीब श्रद्धालुओं ने स्नान किया था।
वहीं श्राद्ध पक्ष में सर्वपितृ एकादशी पर 1.30 लाख व पितृ विसर्जन अमावस्या पर भी डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। इस दौरान बॉर्डर पर लगातार सख्ती भी बरती गई। कोरोना काल के बाद कार्तिक पूर्णिमा का स्नान ही ऐसा पहली बार हुआ है कि बिना रोक टोक के यात्रियों को जिले की सीमा में प्रवेश दिया।
वहीं, श्रद्धालुओं की ओर से बेखौफ होकर गंगा स्नान किया। न तो श्रद्धालुओं की ओर से मास्क लगाए गए और न स्वास्थ विभाग ने रैंडम जांच की गई। इससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका भी जन्म ले रही है। जनपद में अभी भी कोरोना संक्रमण के मरीज आ रहे हैं। कभी एक तो तीन मरीज जनपद में पाए जा रहे हैं। जिससे कोरोना के केस भले ही बेहद कम हो गए हों, मगर केस मिलने का सिलसिला जारी है।