हरिद्वार कुंभ के दौरान कोविड जांच फर्जीवाड़े मामले में एसआईटी ने कुंभ मेलाधिकारी स्वास्थ्य से पांच घंटे तक पूछताछ कर बयान दर्ज किए। इससे पहले सीएमओ हरिद्वार के बयान दर्ज किए थे। कुंभ मेला से जुड़े अधिकारियों के बयान दर्ज होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। महाकुंभ मेले के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की कोविड जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद मुकदमा दर्ज हो चुका है। जिला प्रशासन और कुंभ मेला प्रशासन पहले ही इस मामले की जांच कर रहा है। शुक्रवार को मामले की विवेचना के लिए जिला स्तर पर एसएसपी ने एसआईटी का गठन किया है।
एसआईटी की टीम ने पहले दिन से ही इस मामले में जांच शुरू कर दी थी। पहले दिन सीएमओ हरिद्वार डॉ. एसके झा से एक घंटे तक रोशनाबाद कार्यालय में बुलाकर पूछताछ की थी। शनिवार को पुलिस ने इस मामले में कुंभ मेलाधिकारी स्वास्थ्य अर्जुन सेंगर से पांच घंटे तक पूछताछ करने के बाद उनके बयान दर्ज किए।
पूछताछ में एसआईटी की टीम ने कुंभ मेलाधिकारी स्वास्थ्य अर्जुन सिंह सेंगर से कई सवाल किए। जिसमें प्रमुख रूप कंपनी को टेंडर कब दिया गया। किस तरीके से दिया गया। टेंडर के क्या नियम कायदे थे। जांच अधिकारी राजेश शाह ने बताया कि शनिवार को कुंभ मेलाधिकारी स्वास्थ्य से पूछताछ के बाद बयान दर्ज किए गए हैं। महाकुंभ के दौरान कोरोना की जांच में कैसे फर्जीवाड़ा किया गया, इसका खुलासा 40 पेज की प्रारंभिक जांच में हुआ है। जांच तैयार करने में अधिकारियों को कई दिनों का समय लगा।
इसी जांच रिपोर्ट के बाद मैक्स सर्विस, हिसार की नलवा लैब और दिल्ली की डॉक्टर लाल चंदानी लैब के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। ऐसे में जांच रिपोर्ट के बाद कई बड़े अधिकारियों की गर्दन फंसना भी तय माना जा रहा है। शासन ने इस मामले की जांच पीसीएस अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी को सौंपी थी। जिसके बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर इस रिपोर्ट को तैयार किया।
इसके बाद इस रिपोर्ट को हरिद्वार जिला प्रशासन के पास भेज दिया गया। जिसके बाद हरिद्वार जिला प्रशासन ने सीडीओ समेत तीन सदस्यों की टीम को जांच के आदेश दिए थे। कुंभ मेले के दौरान कोविड जांच का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कई खुलासे हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार सैंपल लेने के लिए अनुबंध पर रखे गए कई कर्मचारियों को केवल इसलिए नौकरी से हाथ धोना पड़ा कि उन्होंने फर्जी रिपोर्ट तैयार करने से इनकार कर दिया था। इन लोगों के विरोध करने के बाद भी उनकी आवाज दब गई।
सूत्रों के अनुसार एक लैब ने कुछ युवाओं को सैंपल लेने और जांच के लिए अनुबंध पर रखा था। इन लोगों को जबरन निगेटिव रिपोर्ट देने को कहा गया।
बताते हैं कि युवाओं ने इसका विरोध किया। विरोध करने वालों को काम से हटाया गया था। बताया जाता है कि युवाओं ने प्रशासन से इसकी शिकायत कर लैब के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।