बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा पर पहुंचने वाले तीर्थयात्री अब बदरीनाथ धाम में ध्यान भी कर सकेंगे। केदारनाथ की तर्ज पर बदरीनाथ धाम में भी ध्यान केंद्र का संचालन होगा। बदरीनाथ धाम से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर नीलकंठ पर्वत की तलहटी में ऋषि गंगा के समीप नगर पंचायत बदरीनाथ की ओर से दो ध्यान केंद्रों का निर्माण किया गया है। नगर पंचायत अगले वर्ष यात्राकाल में इन केंद्रों का संचालन शुरू कर देगा।
बदरीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है। धाम में विष्णु भगवान योगध्यान मुद्रा में विराजमान हैं। इसलिए इस पवित्र स्नान में योग ध्यान का विशेष महातम्य है। चारधाम यात्रा के दौरान यहां कई तीर्थयात्री खुले आसमान के नीचे ध्यान मुद्रा में बैठे रहते हैं। शीतकाल में जब धाम बर्फ के आगोश में रहता है, तो सिद्धि प्राप्ति के लिए साधु-संत यहां ध्यान करते हैं। बदरीनाथ धाम में अटूट आस्था रखने वाले तीर्थयात्रियों के लिए नगर पंचायत की ओर से दो ध्यान केंद्र स्थापित किए गए हैं। 26 लाख की लागत से निर्मित इन ध्यान केंद्रों को नीलकंठ पर्वत की तलहटी में बनाया गया है।
नगर पंचायत बदरीनाथ के अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित ने बताया कि आगामी 2022 की चारधाम यात्रा के दौरान इन ध्यान केंद्रों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। ध्यान केंद्र तक का पहुंच मार्ग निर्माणाधीन है। ऋषि गंगा से ध्यान केंद्र तक रास्ते का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही धाम में चरणपादुका क्षेत्र को भी विकसित किया जा रहा है।
जोर शोर से चल रहा मास्टर प्लान काकाम
चारधाम यात्रा संपन्न होने के बाद बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से कई मजदूरों को शीतकाल में भी बदरीनाथ धाम में रहने की अनुमति दी गई है। धाम में पहले चरण में आस्था पथ, शेषनेत्र झील का सौंदर्यीकरण और अलकनंदा किनारे फुटपाथ का निर्माण कार्य प्रस्तावित है। लोनिवि के अधीक्षण अभियंता मुकेश परमार ने बताया कि बदरीनाथ धाम में बाईपास मार्ग का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। मास्टर प्लान के कार्यों के कारण बदरीनाथ धाम में पहली बार कपाट बंद होने के बाद भी चहल-पहल बनी हुई है।