केदारनाथ धाम में स्थापित होगी आपदा में बह गयीआदिगुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा

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केदारनाथ धाम में जल्द ही आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। मैसूर के मूर्तिकारों ने कृष्णशिला पत्थर से 12 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार की है। 25 जून को गोचर पहुंचेगी। चमक बढ़ाने के लिए प्रतिमा को नारियल पानी से पॉलिश किया गया है।वर्ष 2013 में आई दैवीय आपदा में आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि बह गई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशानिर्देश में केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के तहत आदिगुरु शंकराचार्य समाधि का डिजाइन तैयार किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय से योगीराज शिल्पी को प्रतिमा तैयार करने के लिए अनुबंध किया गया था। प्रतिमा के लिए 120 टन का पत्थर खरीद गया। जिसे तराशकर 35 टन की प्रतिमा बनाई गई। सितंबर 2020 से प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया था।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण का कार्य किया जा रहा है। धाम में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही तीर्थ यात्रियों के लिए पर्यटन की दृष्टि से नया आकर्षित स्थल तैयार होगा।पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति के विकास व संरक्षण में हिंदू दार्शनिक और धर्मगुरु आदिगुरु शंकराचार्य का विशेष योगदान रहा है। मात्र 32 वर्ष के जीवन काल में उन्होंने सनातन धर्म को ओजस्वीशक्ति प्रदान की थी। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि सेना के बड़े हेलीकॉप्टर से 12 फीट ऊंची आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा 25 जून को गोचर पहुंचेगी।

द्वितीय केदार मद्महेश्वर में तैयार की जाएगी ब्रह्मवाटिका

पंच केदार में द्वितीय मद्महेश्वर धाम में ब्रह्मवाटिका तैयार की जाएगी। साथ ही मंदिर के चारों तरफ विभिन्न प्रजाति के फूल व जड़ी-बूटी का उत्पादन किया जाएगा। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर दी गई है।

द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम के ऊपरी व निचली तरफ और देवदर्शनी से मंदिर तक बीच के बुग्याल क्षेत्र में ब्रह्मवाटिका की स्थापना की जाएगी। यहां भृंगराज सहित विभिन्न प्रजातियों की पौध भी रोपी जाएगी।दो-तीन स्थानों पर छोटी-छोटी नर्सरियां भी बनाई जाएगी, जिसमें ब्रह्मकमल सहित अन्य जड़ी-बूटियों की पौध तैयार की जाएगी। प्रभागीय अधिकारियों के अनुसार, द्वितीय केदार में ब्रह्मवाटिका की योजना बनाई गई है। वाटिका के निरीक्षण के लिए यात्राकाल में दो कर्मचारी तैनात रहेंगे। साथ ही शीतकाल में बर्फ से सुरक्षा के लिए बरसाती का उपयोग होगा।

राज्य पुष्प के संरक्षण के लिए द्वितीय केदार में भी वाटिका स्थापित की जाएगी, जिसके लिए प्रारंभिक स्तर पर सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी हैं। इस बरसाती सीजन में यहां चरणबद्ध तरीके से पौधों का रोपण किया जाएगा।
– अमित कंवर, डीएफओ, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग, गोपेश्वर/चमोली

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