कोरोना महामारी के बीच उत्तराखंड में पर्यटन व तीर्थाटन पटरी पर लाने के लिए मंत्रिमंडल ने भी एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने की मंजूरी दे दी है। जल्द ही पर्यटन विभाग की ओर से मानक प्रचालन विधि (एसओपी) जारी की जाएगी। वहीं, चारधामों में यात्री सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए पांच दिन बाकी हैं।
यात्रा के लिए पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए व्यवस्थाएं व कोविड नियम लागू हो सकते हैं। भीड़भाड़ को कम करने के लिए चारधामों में प्रतिदिन दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या सीमित रहेगी। जिसमें बदरीनाथ धाम में 1200, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में 400 लोगों को देवस्थानम बोर्ड की ओर से अनुमति दी जा सकती है।
देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं गढ़वाल आयुक्त रविनाथ रमन ने सरकार ने कैबिनेट से चारधाम यात्रा की मंजूरी दे दी है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए यात्रा सीमित संख्या में होगी। चारधामों में संबंधित विभागों के माध्यम से यात्रियों की सुविधाओं के लिए व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
बता दें कि पिछले वर्ष कोरोना की पहली लहर में भी सरकार ने एक जुलाई से ही चारधाम यात्रा शुरू की थी। इस बार भी कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी पड़ने पर सरकार ने अभी चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जनपदों के लोगों के लिए चारधाम यात्रा शुरू करने की मंजूरी दे दी है। चमोली जिला के लोग बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग जिला के केदारनाथ और उत्तरकाशी जिला के लोग गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में कोविड जांच की निगेटिव रिपोर्ट के साथ दर्शन कर सकेंगे। जबकि 11 जुलाई से पूरे प्रदेश के लोगों को सशर्त यात्रा में जाने की अनुमति दी जाएगी। कोरोना की स्थिति सामान्य रहने पर सरकार दूसरे राज्यों के यात्रियों के लिए यात्रा खोल सकती है।
देवस्थानम बोर्ड के विरोध में होगी आरपार की लड़ाई
तीर्थपुरोहितों का कहना है कि आंदोलन को एक पखवाड़ा हो गया है लेकिन अब तक शासन-प्रशासन ने सुध नहीं ली है। सरकार, बोर्ड के माध्यम से केदारनाथ समेत अन्य धामों की प्राचीन यात्रा व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक साल से अधिक समय से गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ व केदारनाथ में देवस्थानम बोर्ड के विरोध में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जा रहा है। पूर्व में प्रतिनिधिमंडल सरकार से भी मिल चुका है लेकिन अब तक बोर्ड को भंग करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हुई है जबकि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उचित आश्वासन दिया था।
उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में यात्रा को लेकर भी सरकार का रवैया गैर जिम्मेदाराना है। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग से धाम तक यात्री व्यवस्थाओं का इंतजाम नहीं किया गया है। इस मौके पर उमेश चंद्र पोस्ती, संजय तिवारी, अंकुर शुक्ला, चमन लाल शुक्ला आदि मौजूद थे। इधर, केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने बताया कि बोर्ड के विरोध में भावी रणनीति को लेकर चारधाम तीर्थपुरोहित समाज के बैनर तले जल्द बैठक आयोजित की जाएगी।