बैकुंठ चतुर्दशी पर संतान प्राप्ति के लिए उत्तराखंड में श्रीनगर के कमलेश्वर मंदिर में 147 दंपती खड़ा दीया अनुष्ठान में शामिल हुए। बुधवार को गोधूलि बेला से अनुष्ठान शुरू हुआ। अनुष्ठान के लिए 185 दंपतियों ने पंजीकरण कराया था। गत वर्ष 108 दंपती अनुष्ठान में शामिल हुए।
बुधवार शाम गोधुलि वेला (साढ़े 5 बजे) कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने दीपक जलाकर खड़ा दीया अनुष्ठान का शुभारंभ किया। महिलाओं के कमर में एक कपड़े में जुड़वा नींबू, श्रीफल, पंचमेवा एवं चावल की पोटली बांधी गई। तत्पश्चात महंत ने सभी दंपतियों के हाथ में दीपक रखते हुए पूजा अर्चना की।
दंपती रातभर हाथ में जलते दीपक लेकर भगवान शिव (कमलेश्वर) की पूजा की। आज सुबह स्नान के बाद महंत दंपतियों को आशीर्वाद देकर पूजा संपन्न की, ऐसा विश्वास है कि खड़ा दीया अनुष्ठान करने से संतान प्राप्ति होती है। अनुष्ठान में शामिल होने के लिए उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश व गुजरात आदि राज्यों से दंपती पहुंचे हैं।
वहीं, देर शाम मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई। मंदिर में कमलेश्वर महादेव के दर्शन करने वाले और बाती चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की लगभग डेढ़ सौ मीटर लंबी कतार लग गई। इसके साथ ही बैकुंठ चतुर्दशी के पर्व पर कमलेश्वर मंदिर में रुई की 365 बाती चढ़ाने का मेला शुरू हो गया।
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (बैकुंठ चतुर्दशी) के मौके पर श्रीनगर में मेले का आयोजन होता है। इस दौरान कमलेश्वर मंदिर सहित अन्य शिवालयों में लोग भगवान शिव को रुई की बाती अर्पित करते हैं। साथ ही शहर में 10 दिवसीय मेले का शुभारंभ भी होता है।
प्रमुख मेला स्थल जीआईएंडटीआई मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रमों आयोजन के साथ ही बाजार, झूले-चर्खी और विकास प्रदर्शनी लगती थी। गत वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से मेला नहीं हुआ। इस बार भी मेला स्थगित कर दिया गया। मेला स्थगित होने के लिए नगर पालिका अध्यक्ष और सभासद एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं।