देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने वैष्णोदेवी माता मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के मोर्चे पर बड़ा कदम उठा दिया है। वहीं इस प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है।
आज महापंचायत के सदस्यों ने इस मामले में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई, जिसमें उन्होंने आगे की रणनीति का ऐलान किया। इस दौरान गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि तीर्थ पुरोहित विधानसभा का घेराव करेंगे। दो दिन में चारों धामों में आंदोलन होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर तीर्थ पुरोहितों से झूठ बलने का आरोप लगाया। कहा कि अब वृहद आंदोलन होगा।
प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक को मंजूरी दी गई है। राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड के प्रमुख मंदिरों को शामिल करते हुए श्राइन बोर्ड के गठन की मांग की जाती रही है।
80 साल की व्यवस्था को सरकार ने बदला तो दशकों से चारों धामों में पूजा अर्चना करने वाले तीर्थ पुरोहित विरोध में उतर आए। वे सरकार पर छल करने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि जब राज्य विधि आयोग उनसे श्राइन बोर्ड कानून को लेकर सुझाव मांग रहा था, प्रदेश मंत्रिमंडल ने इसके गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव का विरोध
प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूर चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है। देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने सलाह मशविरा किए बगैर निर्णय ले लिया।
तीर्थ पुरोहित समाज इससे व्यथित है। सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा। वर्ष 2004 में सरकार चारधाम का अधिनियम बनाने का प्रयास किया था। राज्य विधि आयोग की बैठक के बाद महापंचायत की एक अहम बैठक हुई जिसमें सरकार पर छल करने का आरोप लगाया गया। सरकार के फैसला का कड़ा विरोध करने का फैसला लिया गया।