टिहरी में सेम मुखेम में जागरण आज, कई देव डोलियां पहुंचीं, आज पहुंचेंगे मुख्यमंत्री धामी

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सेम मुखेम में गुरुवार से दो दिवसीय मेला शुरू हो गया। सेम नागराजा के दर्शनों के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। सेम मुखेम मंदिर में होने वाले जागरण के लिए कई गांवों की देव डोलियां भी पहुंचने शुरू हो गई है। चार देव डोलियां अब तक पहुंच चुकी है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मडबागी सौड़ पहुंचेंगे।

हर तीसरे वर्ष होता है मेला
हर तीसरे वर्ष होने वाले सेम मुखेम मेले में पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और देहरादून जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया है। दो दिवसीय मेले की प्रथम रात्रि को आज होने वाले जागरण कार्यक्रम का खास महत्व है।

अपराह्न दो बजे नागराजा मंदिर मुखेम में विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान नागराजा का निशान और डोली बहार निकाली गई। इस मौके पर मेला समिति की संयोजक रेखा असवाल, मंदिर के प्रबंधक सुंदर सिंह पोखरियाल, मंदिर समिति के अध्यक्ष भीम सिंह कंडियाल, प्रधान विजय पोखरियाल, डा. बिजेंद्र असवाल, अनिल मटियाल, सोनू शाह व प्रदीप मटियाल आदि उपस्थित रहे।

सेम मुखेम में भगवान श्रीकृष्ण को नागराजा के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि पूर्व में जब कृष्ण भगवान ने यहां पर अवतार लिया था, तो वीरभड़ गंगू रमोला से उन्होंने रहने के लिए भूमि मांगी थी। लेकिन तब गंगू रमोला ने उन्हें भूमि देने से मना कर दिया। गंगू रमोला की कोई संतान नहीं थी।
11 गते मंगर्शीष को होता है मेले का आयोजन
इसके बाद गंगू रमोला के सपने में भगवान श्रीकृष्ण ने दर्शन देकर उसे दो पुत्रों की प्राप्ति का वरदान दिया। इसके बाद गंगू रमोला ने श्रीकृष्ण को सेम मुखेम में भूमि प्रदान की। जिस पर भगवान ने अपनी रास लीला रचाई। तब से ही इस स्थान पर हर तीसरे वर्ष 11 गते मंगर्शीष को मेले का आयोजन किया जाता है।

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