देहरादून। हरिद्वार में अगले साल कुंभ का आयोजन निर्धारित समय पर ही होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अखाड़ा परिषद के संतों के मध्य रविवार को हुई बैठक में इस पर सहमति बनी। हालांकि, कुंभ का स्वरूप क्या होगा और किस स्तर तक होगा, इस संबंध में फरवरी में तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा। इसके साथ ही कुंभ के आयोजन को लेकर चल रहा ऊहापोह भी खत्म हो गया है।
सरकार की मंशा हरिद्वार में दिव्य-भव्य महाकुंभ के आयोजन की थी और इसी हिसाब से तैयारियां चल रही थीं। कुंभ मेला क्षेत्र में साढ़े चार सौ करोड़ से अधिक लागत के स्थायी व अस्थायी प्रकृति के कार्य चल रहे हैं। इस बीच कोरोना संकट के चलते कुंभ के आयोजन पर भी संकट मंडराने लगा था। कांवड़ मेला टलने के बाद कुंभ को लेकर यह प्रश्न उठने लगा था कि यह आयोजन होगा या नहीं। अब इसे लेकर संशय दूर हो गया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास में अखाड़ा परिषद के संत महात्माओं से कुंभ के संबंध में विमर्श किया। अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरिगिरी महाराज ने बताया कि इस बारे में सभी अखाड़ों के संतों के साथ चर्चा हो चुकी है। सभी ने इस बात पर सहमति दी है कि ज्योतिष गणना के अनुसार कुंभ मेले का आयोजन निर्धारित समय पर ही हो। इसके स्वरूप आदि को लेकर फरवरी में तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने संतों के सहयोग के लिए आभार जताया और कहा कि परंपराओं का ध्यान रखते हुए अगले वर्ष कुंभ का आयोजन समय पर होगा। फरवरी में तब की परिस्थितियों के अनुरूप संत-महात्माओं के मार्गदर्शन में मेले के स्वरूप के बारे में निर्धारण किया जाएगा। कुंभ मेले से संबंधित स्थायी प्रकृति के निर्माण कार्य चलते रहेंगे। बैठक में महंत नारायण गिरी महाराज, महंत महेश पुरी महाराज आदि मौजूद थे।