केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर देवस्थानम बोर्ड और तीर्थपुरोहितों में शुक्रवार रात को नोकझोंक हो गई। लगभग एक घंटे तक चले विवाद के बाद बातचीत कर मामला शांत कराया गया। शुक्रवार को केदारनाथ में मौजूद तीर्थपुरोहित समाज के कुछ लोग जलाभिषेक के लिए मंदिर पहुंचे। उन्होंने गर्भगृह में बाबा केदार के जलाभिषेक करने की बात कही। लेकिन देवस्थानम बोर्ड के सदस्यों ने उन्हें रोक दिया।उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में जारी गाइडलाइन के चलते मुख्य पुजारी व रावल को ही मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति है। इसके अलावा अन्य लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। सरकार की ओर से भी यात्रा पर रोक लगाई गई है। इसलिए मंदिर में मुख्य पुजारी ही नियमित पूजा कर रहे हैं।
इसी बात को लेकर तीर्थ पुरोहितों और देवस्थानम बोर्ड के सदस्यों में बहस होने लगी। तीर्थपुरोहित अंदर जाने पर अड़ गए। लेकिन बोर्ड के सदस्यों ने उन्हें रोक दिया, जिस कारण दोनों पक्षों में जमकर बहस हुई। तीर्थ पुरोहितों ने देवस्थानम बोर्ड पर परंपराओं की अनदेखी का आरोप लगाया। काफी देर तक चले विवाद के दौरान कुछ देर के लिए मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए गए।
लगभग एक घंटे बाद दोनों पक्षों में चली बातचीत के बाद मामला शांत हुआ। विरोध करने वाले तीर्थपुरोहितों में तेज प्रकाश त्रिवेदी, अंकुर शुक्ला, पंकज शुक्ला, नवीन शुक्ला, रमाकांत त्रिवेदी आदि शामिल थे। इधर, देवस्थान बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि कुछ तीर्थपुरोहित मंदिर के अंदर प्रवेश करना चाहते थे, जिन्हें बोर्ड के सदस्यों ने रोक दिया था। वे इस दौरान अंदर जाने पर अड़े हुए थे।लेकिन बाद में बातचीत से मान गए थे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उच्च अधिकारियों को बता दिया गया है। शासन व बोर्ड द्वारा जो भी आदेश होंगे, उसी के हिसाब से अग्रिम कार्रवाई होगी। दूसरी तरफ उप जिलाधिकारी जितेन्द्र वर्मा ने बताया कि मंदिर में केवल रावल व पुजारी ही प्रवेश करेंगे। इस बारे में पहले से स्पष्ट निर्देश शासन ने जारी किए गए हैं।