पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की कार्यकारिणी की बैठक में संन्यास की दीक्षा लेने के बाद भी घर-परिवार से संबंध रखने वाले संतों को अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। कार्यकारिणी ने प्रस्ताव पारित कर ऐसे संतों की छानबीन शुरू कर दी है कि जिनका संन्यास की दीक्षा के बाद घर-परिवार से संबंध है।अखाड़े के सचिव श्रीमहंत नरेंद्र पुरी ने बताया कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और अखाड़ा कार्यकारिणी पदाधिकारियों की मौजूदगी में बैठक हुई। उन्होंने बताया कि अखाड़े में करीब 150 संत और महंत हैं।
सभी की संन्यास की दीक्षा हुई है। इसके बाद ही उनको पदों पर आसीन किया जाता है और अखाड़ा की संपत्ति पर अधिकार मिलता है। उन्होंने बताया कि पांच संतों के घर-परिवार से संबंध होने की बात सामने आई है।
कार्यकारिणी ने ऐसे संतों को अखाड़े से बाहर करने के प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने कहा कि दीक्षा संस्कार के बाद संतों का घर-परिवार की मोह माया छोड़नी पड़ती है। खुद का पिंडदान करना होता है। बैठक में श्रीमहंत दिनेश गिरि, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत राधेगिरी, श्रीमहंत रामरतन गिरि, श्रीमहंत ओमकार गिरि समेत कई संत मौजूद रहे