महाशिवरात्रि पर्व एवं महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर जनसैलाब उमड़ा। सात संन्यासी अखाड़ों के संग किन्नर अखाड़ा के संतों ने शाही अंदाज में विधि-विधान से हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड पर स्नान किया। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हरकी पैड़ी पहुंचकर संतों को शाही स्नान की शुभकामनाएं देकर आशीर्वाद लिया। अखाड़ों के संतों का स्नान शुरू होने से पहले सुबह आठ बजे तक हरकी पैड़ी क्षेत्र में श्रद्धालुओं का रैला उमड़ा।
शाम छह बजे तक गंगा किनारे सभी घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भरे रहे। डीजीपी अशोक कुमार ने हरकी पैड़ी क्षेत्र का जायजा लिया। मेला प्रशासन के दावे के मुताबिक महाशिवरात्रि स्नान के लिए 32 लाख 87 हजार लोगों ने मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। पूजा अर्चना के बाद पहले श्री निरंजनी के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय और श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े के इष्टदेव सूर्यदेव का शाही स्नान कराया गया। इसके बाद श्री निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि और फिर तपोनिधि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि ने गंगा स्नान किया।उनके गंगा भी डुबकी लगाने के बाद दोनों अखाड़ों के संत और नागा साधु गंगा स्नान के लिए उतर गए। शाम को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और सहयोग अखाड़े श्री शंभू पंच अटल अखाड़े के सन्यासियों ने शाही स्नान किया। स्नान के दौरान पहले दोनों अखाड़ों के मुकाबले महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के सन्यासियों की संख्या कम रही।
महाशिवरात्रि पर पहले शाही स्नान को लेकर श्रद्धालुओं में जबर्दस्त उत्साह रहा। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे। बुधवार देर रात तक साढ़े तीन लाख श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच चुके थे। गुरुवार तड़के तीन बजे से हरकी पैड़ी क्षेत्र के घाटों पर स्नान शुरू हो गया। सुबह पांच बजे से साढ़े सात बजे तक हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। ब्रह्मकंड पर स्नान करने की श्रद्धालुओं में होड़ रही। सात संन्यासी अखाड़ों और किन्नर अखाड़ा के संतों का सुबह 11 बजे से क्रमवार स्नान पूर्व निर्धारित था। लिहाजा, मेला पुलिस-प्रशासन ने सुबह आठ बजे से पैरामिल्ट्री की मदद से हरकी पैड़ी क्षेत्र को श्रद्धालुओं से खाली करवा कर सील कर लिया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी क्षेत्र को छोड़कर दूसरे घाटों पर स्नान किया।
दशनाम श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के नेतृत्व में श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आह्वान और किन्नर अखाड़ा के संत-महंत और नागा संन्यासी निर्धारित समय से पहले ही सुबह 9.47 बजे हरकी पैड़ी पहुंच गए। दोपहर एक बजे श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी और श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा के संत और नागा संन्यासियों ने ब्रह्मकुंड पर डुबकी लगाई।
अपराह्न चार बजे श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंच अटल अखाड़ों के संतों ने ब्रह्मकुंड पर हर-हर महादेव के जयघोष के साथ स्नान किया। अखाड़ों के साधु-संत-महंत क्रमवार अपने-अपने आचार्य महामंडलेश्वरों के नेतृत्व में रथों पर सवार होकर छावनियों से हरकी पैड़ी क्षेत्र पहुंचे। विधि विधान से स्नान करने के बाद क्रमवार ही अपनी छावनियों पर लौटे।
महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर हरकी पैड़ी पर नौ घंटे तक साधु-संतों का राज रहा। हर तरफ साधु-संत ही नजर आए। संतों का स्नान पूरा होते ही शाम छह बजे बाद श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैड़ी के गंगा घाट खुल गए। श्रद्धालुओं ने स्नान किया और मां गंगा की आरती में शामिल हुए। अखाड़ों के संतों का पहला जुलूस लाव लश्कर के साथ सुबह 9.47 बजे हरकी पैड़ी क्षेत्र पहुंचा। शाम साढ़े चार बजे तक संतों का स्नान हुआ। पांच बजे हरकी पैड़ी के घाटों को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया।