फैसले पलटने को लेकर मशहूर तीरथ सरकार अब चारधाम यात्रा शुरू करने के अपने ही फैसले से पलटी।

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चारधाम यात्रा पर कल नैनीताल हाईकोर्ट ने 7 जुलाई तक रोक लगा दी थी पर सरकार ने शाम होते होते चारधाम यात्रा की एसओपी जारी कर नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही पर सुबह होते होते सरकार फिर अपने एक दिन पहले किये फैसले से पलट गयी और अग्रिम आदेशो तक यात्रा पर रोक लगा दी।फैसले पलटने को लेकर तीरथ सरकार जानी जाती है चाहे वो अपनी ही पूर्व सरकार त्रिवेंद्र के फैसले हो या अन्य सरकार के,पर अब सरकार अपने ही एक दिन पहले किये फैसले से मुकर गयी है।

उत्तराखंड से आज की सबसे बड़ी खबर पहले हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद शासन ने चार धाम यात्रा को लेकर गाइडलाइन जारी  कर 1 जुलाई से  यात्रा शुरू करने की कही थी बात लेकिन अब शासन ने अपने ही फैसले से फिर  पलटी  मार दी है।अब उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में चार धाम यात्रा को तत्काल प्रभाव से अग्रिम आदेशों तक स्थगित किया गया है यानी 1 जुलाई 2021 से प्रस्तावित यात्रा अब अग्रिम आदेशों तक प्रतिबंधित रहेगी आपको बता दें हाईकोर्ट ने इसको लेकर निर्देश जारी किए थे कि सरकार 1 जुलाई से यात्रा ना शुरू करें क्योंकि सरकार की इस को लेकर कोई तैयारी नहीं है जिसके बाद देर रात सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी थी जिसमें चार धाम यात्रा 1 जुलाई से शुरू करने की बात कही गई थी।
-सुबोध उनियाल-शासकीय प्रवक्ता
 उच्च न्यायालय ने चार धाम यात्रा पर 7 जुलाई तक लगाई रोक लगाते हुए  चार धाम की लाइव स्ट्रीमिंग करने के दिए निर्देश। खंडपीठ ने 25 जून के कैबिनेट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें चारों धामों के आसपास के जिलो के निवासियों को आर.टी.पी.सी.आर. नैगेटिव रिपोर्ट लेकर दर्शनों को जाने की अनुमति दे दी गई थी ।
मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार को दोबारा से सपथपत्र 7 जुलाई तक दाखिल करने को कहा है। पूर्व में सरकार की तरफ से 700 पेज का शपथपत्र पेश किया गया था । न्यायालय ने शपथपत्र को भ्रामक और न्यायालय को गुमराह करने वाला बताया था। न्यायालय ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों का कारण सरकार की आधी अधूरी तैयारियों के कारण से हुई। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि सरकार ने कोविड के नियमो का पालन नहीं किया है।
  – शिव भट्ट, अधिवक्ता याचिकाकर्ता ।
आपको बता दें कि चारों धामो के लोग खास तौर पर पंडा समाज लगातार चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर प्रदर्शन कर रहा था औऱ इसी दबाव के चलते सरकार ने यात्रा शुरू करने का फैसला किया,पर चार धाम यात्रा की न तो तैयारी कोई सरकार ने की जिसको देखते हुए कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी।
 
चारधाम यात्रा से जुड़े लोग भी कोर्ट के फ़ैसले के साथ है,सभी तीर्थ पुरोहित चाहते है सरकार यात्रा शुरू करे पर उससे पहले सरकार को व्यवस्यायें दुरुस्त करें।
विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने यात्रा खोलने से पहले व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिये कहा है। तीर्थ पुरेाहितों ने कहा कि मानसून सीजन शुरू हो गया है। गौरीकुण्ड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जगह-जगह बोल्डर गिर रहे हैं। रास्ता कई स्थानों पर ध्वस्त हो गया है। तीर्थ पुरोहित भी अपने घरों में हैं। ऐसे में किस प्रकार से यात्रा चल सकती है।
-अंकित सेमवाल-तीर्थ पुरोहित,केदारनाथ
बद्रीनाथ धाम के पुरोहित समाज भी सरकार के फैसलों से अचंभित है और कोर्ट के फैसले को सही बता रहे हैं,उनका कहना है कि सरकार भृमित है क्योंकि जब कोर्ट ने 28 तक का समय दिया था तो फिर सरकार को उससे पहले कैबिनेट में ये फैसला नही लाना चाहिए था और सभी बद्रीनाथ का पुरोहित समाज कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है।
-उमानंद सती- तीर्थ पुरोहित, बद्रीनाथ धाम
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल का कहना है कि कई समय से देवस्थानम बोर्ड को लेकर हम प्रदर्शन कर रहे हैं ऐसे में सरकार उनकी बात न सुनकर आधी अधूरी तैयारी के साथ चार धाम यात्रा शुरू करने जा रही थी इस  पर कोर्ट ने सही निर्णय लिया है और पुरोहित समाज कोर्ट के फैसले से सहमत हैं।
-सुरेश सेमवाल-अध्यक्ष मंगोत्री मंदिर समिति
विपक्ष ने भी चारधाम यात्रा पर सरकार के फैसले को लेकर कटघरे में खड़ा किया है, कांग्रेस का कहना है कि चार साल से सरकार अपने फैसले पलटने के लिये ही जानी जा रही है सरकार बिना होमवर्क के फैसले करती है और कोर्ट हमेशा उनके फैसलों पर सवाल उठाता है, एक बार फिर सरकार के इस फैसले में यही देखने को मिला है और सरकार के इस फैसले से चारधाम से जुड़े व्यवसायी औऱ जनता असमंजस में है ।
-गरिमा दशोनी-कांग्रेस नेता।

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