बाबा हठयोगी बोले- किन्नर अखाड़े को नहीं मिलेगी मान्यता

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किन्नर अखाड़े को हरिद्वार कुंभ में 14वें अखाड़े के रूप में मान्यता और शाही स्नान के अधिकार को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने कहा है कि यदि महामंत्री श्रीमंहत हरि गिरि पद पर नहीं रहना चाहते हैं तो इस्तीफा दे सकते हैं। इस पर किसी को एतराज नहीं होगा, लेकिन सदियों से चली आ रही अखाड़ा परंपरा का उल्लंघन कर किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं दी जा सकती है।

सोमवार को जारी प्रेस बयान में दिगंबर अणी अखाड़े के स्थानीय प्रतिनिधि बाबा हठयोगी ने कहा कि वर्तमान अखाड़ा परिषद का गठन ही असांविधानिक है। अध्यक्ष और महामंत्री दोनों वरिष्ठ पदाधिकारी सन्यासी अखाड़ों से संबद्ध हैं, जो अखाड़ा परिषद के संविधान के विपरीत है। उन्होंने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य की ओर से स्थापित अखाड़ा परंपरा का उल्लंघन स्वीकार नहीं किया जाएगा। सदियों से चली आ रही परंपरा के तहत केवल 13 अखाड़ों को ही मान्यता प्राप्त है। तीन बैरागी अणियों में 18 अखाड़े शामिल हैं, लेकिन सभी बैरागी अखाड़े तीनों अणियों के साथ ही कुंभ मेले में शाही स्नान करते हैं।

श्रीमहंत हरि गिरि चाहें तो जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े को भी स्नान करा सकते हैं, लेकिन किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं दी सकती है। सरकार और मेला प्रशासन के पास उपलब्ध कुंभ मेला संबंधी रिकॉर्ड में भी केवल 13 अखाड़ों का उल्लेख है। वर्ष 2010 के हरिद्वार कुंभ में तत्कालीन अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज के समक्ष भी किन्नर अखाड़े के रूप में 14वां अखाड़ा गठित करने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने परंपराओं का पालन करते हुए इसे ठुकरा दिया था।

 

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