ब्रह्मकमल के फूलों से सजा हेमकुण्ड साहिब यात्रा मार्ग

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हेमकुण्ड साहिब मार्ग पर खिले बड़ी शंख्या में ब्रह्माकमल, यात्रा सुरु और मानवीय दबाव नही होने से हेमकुण्ड के आस पास बिखरी पर्यावरणीय सुंदरता,

उच्च हिमालयी क्षेत्र में समुद्रतल से 3000 मीटर से लेकर 4800 मीटर तक की ऊंचाई पर खिलने वाले देवपुष्प और राज्य पुष्प ब्रह्मकमल से हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग समेत पूरी भ्यूंडार घाटी गुलजार हो गई है। इस बार हिमालयी क्षेत्रों में कम मानवीय दवाब के कारण ब्रह्मकमल स्वस्थ और प्रचुर मात्रा में खिला है, ,उच्च हिमालयी क्षेत्रो में बर्फ पिघलते ही ब्रह्मकमल में अपनी छटा बिखेर दी है ,

हेमकुंड साहिब समेत अटलाकोटी से आगे पूरे यात्रा मार्ग पर इन दिनों देवपुष्प ब्रह्मकमल अपनी महक बिखेर रहा है। हेमकुण्ड साहिब मार्ग पर बड़ी मात्रा में ब्रह्मकमल खिल गए है ,इनकी सुगन्ध खुश्बू से सौंदर्य से घाटी महकने लगी है , यहां ब्रह्मकमल जुलाई से लेकर सितंबर तक खिला रहता है। हालांकि यात्रा काल के दौरान इन जगहों पर आसानी से ब्रह्म कमल के फूल देखने को नहीं मिल पाते हैं लेकिन इस बार पूरी घाटी हरी-भरी और मानव्य हस्तक्षेप ना होने के चलते हर तरफ ब्रह्म कमल के फूलों की क्यारियां जैसी दिखाई दे रही है

चार धाम की यात्रा शुरू होने के साथ-साथ हेमकुण्ड साहिब की यात्रा शुरू होने पर भी संशय बना हुआ है, 10 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने थे लेकिन कोरोना महामारी के वजह से यात्रा स्थगित करनी पड़ी उसके बाद लगातार यात्रा संचालित करने को लेकर संशय बरकरार रहा हालांकि हेमकुंड साहिब ट्रस्ट ने पूर्व से ही यात्रा की सभी तैयारियां की हुई हैं केवल उत्तराखंड सरकार और हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार हर किसी को है। बताते चलें कि हेमकुंड साहिब के कपाट महज 4 महीने के लिए वर्ष भर में खोले जाते हैं क्योंकि अत्यधिक ऊंचाई पर होने के चलते यहां बहुत ज्यादा ठंड और भारी बर्फबारी होती है जिसके साथ ही अक्टूबर में यहां के कपाट बंद हो जाते हैं लेकिन अभी तक कपाट खोलने को लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा निर्णय नहीं दिया गया है जिस कारण अभी भी हेमकुंड साहिब की यात्रा पर संशय बना हुआ है,

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