देहरादून। संवाददाता। बाबा केदारधाम के कपाट आज भैय्यादूज के शुभ मुहूर्त पर पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शीतकाल के लिए विधिविधान के साथ बंद कर दिए गये हैं। इस दौरान बाबा की नगरी भोले के जयकारों से गूंज उठी। शीतकाल में श्रद्धालुगण बाबा के दर्शन शीतकाल गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में कर पाएंगे। उधर यमुनोत्री धाम के कपाट भी आज विधि विधान के साथ बंद कर दिये गये है। मां यमुना अब अगले छह माह शीतकालीन प्रवास के दौरान खरसाली में भक्तों को दर्शन देंगी।
मंगलवार को पौराणिक रीतिरिवाज एवं विधिविधान के साथ मंदिर समिति के अधिकारियों एवं प्रशासन की मौजूदगी में बाबा के कपाट बंद किये गए। वहीं प्रशासन द्वारा मंदिर के मुख्य गेट को शीलबन्द किया गया है। बीते रोज भगवान केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में विधि विधान व वैदिक मंत्रों के साथ चार पहर की पूजा की गयी। ब्रह्म मुहूर्त में भोरकाल में सुबह 2 बजे से 4 बजे तक वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाबा की विशेष पूजा के साथ महाभिषेक भी किया गया। प्रातःकाल 4.30 बजे से 6 बजे तक गर्भगृह में केदारनाथ भगवान की समाधि में पूजा व श्रंगार किया गया। जिसमें गर्भ गृह में स्थित लिंग पर मुख्य पुजारी केदार लिंग द्वारा घी का लेपन किया गया, तत्पश्चात भस्म का लेपन किया गया। साथ ही ब्रह्मकमल, रुद्राक्ष इत्यादि समर्पित कर केसर वस्त्र से लिंग को ढक दिया गया।
जिसके बाद बाबा केदार को बाग़म्बर ओढ़ा कर विधि विधान के साथ गर्भ गृह के मुख्य द्वार प्रातः काल करीब 6 बजे बंद कर दिए गए। रीति रिवाज और पूजा अर्चना के बाद बाबा केदार के मुख्य कपाट बंद कर चल विग्रह उत्सव डोली सुबह 8.30 बजे उखीमठ के लिए रवाना हुई। इस दौरान केदारपुरी में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस चल विग्रह उत्सव डोली यात्रा में भाग लिया। मंगलवार को रात्रि प्रवास के लिए बाबा केदार की डोली रामपुर पहुंचेगी। जिसके बाद यात्रा 30 अक्तूबर गुप्तकाशी में प्रवास के बाद 31 अक्तूबर को बाबा की उत्सव डोली अपने शीत कालीन गद्दी स्थल उखीमठ में विराजमान हो जाएगी। इसके बाद देश विदेश के श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन शीतकाल के लिए ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में ही कर पाएंगे।
अगले 06 माह शीतकाल के लिए बाबा की पूजा अर्चना उनके गद्दी स्थल उखीमठ में की जाएगी। वहीं दूसरी ओर आज मां यमुनोत्री के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये है। मां यमुनोत्री अब शीतकाल प्रवास के दौरान भक्तों को खरशाली में दर्शन देगीं।