हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि ने परी अखाड़े की स्वयंभू शंकराचार्य साध्वी त्रिकाल भवंता को साध्वी और शंकराचार्य मानने से ही इनकार कर दिया है। उन्होंने उन्हें फर्जी संत घोषित करते हुए कुंभ में किसी भी किस्म की सुविधा न दिए जाने की बात कही है। उनका कहना है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सनातन धर्म और संन्यास प्रक्रिया से होकर गुजरने वाली साध्वी का सम्मान करता है और कुंभ में उनकी सुविधा और व्यवस्था की मांग का समर्थन भी करता है। पर परिषद किसी भी फर्जी साधु संन्यासी चाहे वह महिला हो या पुरुष उसकी किसी मांग का समर्थन नहीं करता है।
श्री महंत नरेंद्र गिरि ने मंगलवार सुबह निरंजनी अखाड़ा में पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और वह स्वयं महिला के तौर पर त्रिकाल भवंता का सम्मान करते हैं, लेकिन साधु और संन्यासी के तौर पर उन्हें कतई मान्यता नहीं देते। आपको बता दें कि श्री महंत नरेंद्र गिरी ने सोमवार शाम साध्वी त्रिकाल भवंता के कुंभ मेला अधिकारियों से मिलने और उन्हें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा अनुसार एक करोड़ रुपये दिए जाने, कुंभ में पेशवाई और शाही जुलूस स्नान आदि करने की अलग व्यवस्था किए जाने की मांग को नाजायज ठहराया। उनका कहना है कि साध्वी त्रिकाल भवंता का ना तो कोई गुरु है और ना ही कोई शिष्य। वह किस परंपरा से संन्यासी हैं, इसका भी कुछ पता नहीं है।
उन्होंने हरिद्वार कुंभ मेला अधिष्ठान के अधिकारियों को चेताया कि वह इस किस्म के साधुओं और संन्यासियों से सतर्क रहें और उन्हें कुंभ में किसी भी किस्म की सुविधा या व्यवस्था दिए जाने से परहेज करें, क्योंकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ऐसे साधू संन्यासियों को कोई मान्यता नहीं देता है। महंत नरेंद्र गिरी ने ये भी दावा किया कि परी अखाड़े और परी अखाड़े से संबंधित त्रिकाल भवंता आदि को प्रयागराज कुंभ में ना तो कोई सुविधा मिली थी और ना ही उनके लिए अलग से कोई व्यवस्था हुई थी। इसको लेकर इस संदर्भ में उनका किया गया दावा फर्जी है और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद इसे खारिज करता है।
साध्वी को ब्लैकमेलर करार दिया
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि ने स्वयंभू शंकराचार्य परी अखाड़े की साध्वी त्रिकाल भवंता को ब्लैकमेलर करार दिया। उन्होंने दावा किया कि उनके द्वारा कई लोगों को ब्लैकमेल करने की बातें जगजाहिर हैं। ऐसे लोग साधु और संन्यासी नहीं हो सकते। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद 2016 में ही उन्हें फर्जी संत करार दे चुका है। इस वजह से उन्हें उज्जैन और नासिक कुंभ में भी कोई मान्यता नहीं मिली थी।