शारदीय नवरात्र यानि मां दुर्गा के पूजन-अर्चन के नौ दिन आज गुरुवार से शुरू हो गए हैं। देहरादून सहित हरिद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी सहित सभी इलाकों के मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का आना जारी है। उत्तरकाशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर में नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
15 अक्तूबर को विजयदशमी
नवरात्र के सभी दिन मां दुर्गा को समर्पित होते हैं। मान्यता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूरी भक्ति भाव से पूजा करने से वह अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर कृपा बरसाती है, लेकिन इस साल शारदीय नवरात्र आठ दिन ही आ रहे हैं। कारण, इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है। ऐसे में सात अक्तूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र 14 तक रहेंगे और 15 अक्तूबर को विजयदशमी यानी दशहरा मनाया जाएगा।
कन्याओं का पूजन कर मां की विदाई की जाती है
ऋषि-मुनियों ने वर्ष में मुख्यतया दो बार नवरात्रों का विधान बनाया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से नौ दिन अर्थात नवमी तक। और इसी प्रकार ठीक छह मास बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक।
साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। नवरात्र के प्रथम दिन आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा को घट की स्थापना होती है। नवरात्र के दौरान प्रतिपदा तिथि, अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का पूजन कर मां की विदाई की जाती है।