सावन के पावन माह के दूसरे सोमवार को मौके पर आज तड़के से ही मंदिरों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक शुरू हो गया।
मंदिरों में भक्तों की भीड़ दिखाई दी। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, गाेपश्वर समेत सभी इलाकों के शिवालयों में भक्त पूजा के लिए पहुंचे। श्रद्धालुओं से नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की गई है। मंदिर में बिना मास्क व सैनिटाइजर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है।मैदानी इलाकों के लोगों के लिए आज सावन का दूसरा सोमवार है। जबकि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके वाले लोगों को लिए आज सावन का तीसरा सोमवार है। सूर्य के प्रतिमास नई राशि में प्रवेश करने से सौरमास की गणना की जाती है। चंद्रमास का आरंभ कृष्ण पक्ष से शुक्ल पक्ष तक रहता है। अत: सौर और चंद्र दोनों कैलेंडर की गणना में कुछ अंतर है, इसलिए पर्वतीय इलाकों में सौरमास से पर्व मनाए जाते हैं।
पर्वतीय और मैदानी इलाकों में सावन की शुरुआत अलग-अलग गणना से होती है। विक्रमादित्य की ओर से स्थापित विक्रमी संवत्सर लगने के बाद पिछले 2078 वर्षों से चंद्रमास की मान्यता है। वर्षभर के तमाम पर्वों का निर्धारण भी चंद्रमास से है। सौर कैलेंडर मनाने वाले भी समस्त पर्व चंद्रमास के हिसाब से मनाते हैं। ज्योतिषी पंडित प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि देश में जितने भी पंचांग हैं, वे चंद्रमास के आधार पर बनाए जाते हैं। प्रत्येक महीने का आरंभ कृष्णपक्ष प्रतिपदा से होता है