हरिद्वार। विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में शुमार कांवड़ यात्रा के आयोजन पर इस बार कोरोना की काली छाया पड़ने का अंदेशा है। कोरोना संक्रमण के कम्युनिटी स्प्रैड (सामुदायिक फैलाव) को रोकने की सरकारी कवायद को देखते हुए आशंका जताई जा रही कि इस बार कांवड़ यात्रा शायद ही हो पाए। इसी बात को ध्यान में रख हरिद्वार जिला प्रशासन ने वैकल्पिक योजना तैयार की है। इसके तहत उन सभी राज्यों में टैंकरों के जरिये गंगाजल भेजा जाएगा, जहां से लोग श्रवण मास में गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचते हैं। इस संबंध में जिला प्रशासन की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
हरिद्वार में श्रवण मास में गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से कांवड़ मेला यात्रा की शुरुआत होती है। इस बार छह जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होनी है, जो श्रवण शिवरात्रि को विराम लेगी। पुलिस के अनुसार बीते वर्ष इस अवधि में करीब पांच करोड़ कांवड़ यात्री गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचे थे। लेकिन, इस बार कोरोना संक्रमण के चलते सरकार के साथ-साथ शासन-प्रशासन की पेशानी पर भी बल पड़े हुए हैं।
रोजाना नए रोगी सामने आ रहे हैं और नए-नए कंटेनमेंट जोन उभर रहे हैं। ऐसे में सरकार इसे कम्युनिटी स्प्रैड में जाने से रोकने की कवायद में जुटी हुई है। पुलिस ने भी अपनी पूरी ताकत कंटेनमेंट जोन की व्यवस्था संभालने में झोंकी हुई है। कोरोना काल में सीमित ट्रैफिक होने के बावजूद अक्सर इन स्थानों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। सोचिए, कांवड़ यात्रा होने पर स्थिति किस कदर भयावह होगी। इसी खतरे को भांपते हुए हरिद्वार जिला प्रशासन ने विभिन्न राज्यों को टैंकों के जरिये गंगाजल उपलब्ध कराने की वैकल्पिक योजना तैयार की है।
जिलाधिकारी सी.रविशंकर ने बताया कि योजना के तहत विभिन्न राज्यों को टैंकरों के जरिये हरिद्वार से गंगाजल भेजा जाएगा। लेकिन, टैंकर वही उपयोग में लाए जा सकेंगे, जिनके पास संबंधित राज्य सरकारों की ओर से जारी आधिकारिक पत्र होंगे। इसके बाद राज्य अपने-अपने हिसाब से शिव भक्तों को गंगाजल का वितरण कर सकेंगे। बताया कि शासन से हरी झंडी मिलते ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।