चमोली। भारत-चीन सीमा पर तैनात सेना के जवानों ने शुक्रवार को बदरीनाथ धाम पहुंचकर भगवान बदरी विशाल के दर पर मत्था टेका। इस दौरान पूरी बदरीशपुरी ‘जय बदरी विशाल’ और ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष से गुंजायमान हो उठी।
चमोली जिले में चीन सीमा पर तैनात सेना के जवान किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान बदरी विशाल की शरण में आते हैं। बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल बताते हैं कि शुक्रवार को भी देश के अंतिम गांव माणा में स्थित सेना के कैंप से सेना के 50 से अधिक जवान बदरीनाथ धाम पहुंचे और भगवान बदरी विशाल का आशीर्वाद लिया। विदित हो कि लद्दाख की गलवन घाटी में चीनी सैनिकों से तनातनी के बाद चमोली जिले में भी भारत-चीन सीमा पर सेना की गतिविधियां बढ़ गई है।
124 श्रद्धालुओं ने किए भगवान नारायण के दर्शन
बदरीनाथ धाम में 12 जून से अब तक 6132 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। शुक्रवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों से 124 श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे। हालांकि, बारिश के चलते हो रहे भूस्खलन के कारण जगह-जगह बदरीनाथ हाइवे अवरुद्ध होने से श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो रही है। बावजूद इसके उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है।
कोरोना काल में भी रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंच रहे रुद्रनाथ धाम
कोरोना काल में चारधाम जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भले ही बेहद सीमित हो, लेकिन चमोली जिले में समुद्रतल से 11808 फीट की ऊंचाई पर स्थित चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम में रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। श्रावण मास में तो श्रद्धालुओं की संख्या और भी बढ़ गई है। 18 मई को कपाट खुलने के बाद से अब तक धाम में दस हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शनों को पहुंच चुके हैं।
प्रदेशवासियों को बीती एक जुलाई से चारधाम दर्शनों की अनुमति के बाद भी काफी कम श्रद्धालु चारों धाम पहुंच रहे हैं। जबकि, रुद्रनाथ धाम में तस्वीर बिल्कुल अलग है। यहां बीते वर्षों की अपेक्षा कहीं अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जबकि, रुद्रनाथ धाम की यात्रा बेहद विकट है। यहां पहुंचने के लिए 19 किमी की खड़ी चढ़ाई तय करनी पड़ती है। महत्वपूर्ण यह कि यहां संसाधनों का भी घोर अभाव है। श्रद्धालुओं के रहने के लिए यहां मंदिर समिति की चार धर्मशालाओं के आठ कक्ष हैं। ऐसे में ज्यादातर श्रद्धालु पैदल मार्ग पर पनार, पुंग आदि स्थानों पर बने झोपड़ीनुमा होटलों में ठहरना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
धाम में भोजन के लिए भी सिर्फ एक होटल है। यहां भी उन्हीं यात्रियों को भोजन दिया जाता है, जो यहां ठहरते हैं। श्रद्धालुओं के लिए रुद्रनाथ धाम से एक ही दिन में वापस लौटना संभव नहीं है। लिहाजा धर्मशालाओं में रुकने वाले यात्रियों को भोजन की व्यवस्था स्वयं करनी पड़ रही है। रुद्रनाथ मंदिर के हक-हकूकधारी सत्येंद्र सिंह रावत बताते हैं कि प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के सामने लगातार समस्या उठाने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। रुद्रनाथ मंदिर के पुजारी महादेव भट्ट बताते हैं कि धाम में स्थित धर्मशालाओं में श्रद्धालुओं को ठहराने की व्यवस्था की जा रही है। फिर भी श्रद्धालुओं की आमद बढने पर दिक्कतें होना स्वाभाविक है।