हरिद्वार। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि, महामंत्री हरिगिरि, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने एक साथ बैठकर शाही स्नान की तिथियां घोषित कीं। तय हुआ कि महाकुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर होगा।
बैठक में संतों ने कुछ ज्योतिषाचार्यों की ओर से अपनी वेबसाइटों पर शाही स्नान की तिथि घोषित कर दिए जाने पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि यह कार्य अखाड़ों का है। दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, तीसरा 14 अप्रैल को बैसाखी मेष पूर्णिमा और चैथा और आखिरी शाही स्नान 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा पर होगा।
वहीं, गंगा सभा की ओर से होने वाले मुख्य स्नानों की तिथियां भी इस दौरान घोषित की गईं। इसका सभी संतों और अधिकारियों ने तालियां बजाकर स्वागत किया। मेला अधिकारी दीपक रावत ने कहा कि मेले को सकुशल और सुरक्षित संपन्न कराने के लिए हरसंभव प्रयास रहेगा।
ये स्नान भी होंगे
14 जनवरी – मकर संक्रांति
11 फरवरी -मौनी अमावस्या
13 फरवरी – वसंत पंचमी
27 फरवरी -माघ पूर्णिमा
13 अप्रैल – नव संवत्सर
सीएम के आगे फूटा संतों का गुस्सा
कुंभ मेले को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ अखाड़ा परिषद की बैठक में संतों का गुस्सा फूट पड़ा। वह मेला कार्यों की धीमी गति से नाराज थे। उन्होंने प्रदेश सरकार और अफसरों पर संतों संग बेरुखी के बर्ताव का आरोप लगाया।
कुंभ मेले के बहिष्कार की भी चेतावनी दे दी। इससे बौखलाए अफसर संतों की मान मनौव्वल में जुट गए। मुख्यमंत्री ने संतों को आश्वस्त किया कि प्रयागराज की तरह उन्हें यहां भी समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। कुंभ के सभी कार्य समय से होंगे।
बैठकों से बार-बार आश्वासन का झुनझुना लेकर लौट रहे संतो ने रविवार को दिनभर अलग अलग दौर में बैठक कर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई। शाम करीब साढ़े पांच बजे सीएम जब मेला नियंत्रण कक्ष में पहुंचे तो अचानक अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज सहित परिषद के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के फोन बंद हो गए। करीब 40 मिनट तक मुख्यमंत्री मेला अधिकारी के कार्यालय में संतों के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन संत नहीं आए। उनकी नाराजगी भांपकर मेला प्रशासन के अधिकारी और सरकार के रणनीतिकार सक्रिय हो गए।
रिपोर्टों से मेला नहीं होगा
अखाड़ों से समन्वय स्थापित कर रहे अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह को भेजा गया। उन्होंने निरंजनी अखाड़े पहुंचकर संतों से आग्रह किया तब कहीं जाकर संत बैठक में पहुंचे। बैठक में पहुंचते ही जब मेला प्रशासन के अधिकारियों ने अब तक की प्रगति रिपोर्ट बतानी शुरू की तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने नाराजगी के लहजे में कहा कि पिछले कई महीने से बार-बार बैठकें हो रही हैं, लेकिन अभी तक न तो हाईवे का काम गति पकड़ पाया है और न ही संतों से किए गए अखाड़ों और उनकी छावनी में निर्माण कार्य कराने के वादे को गंभीरता से लिया जा रहा है।
कहा कि रिपोर्टों से मेला नहीं होगा। जब तक अखाड़ों को जमीन नहीं दी जाएगी, संतों को सुरक्षा नहीं मिलेगी और अन्य सभी काम समय पर नहीं होंगे, तब तक अगली किसी बैठक में संत शामिल नहीं होंगे। इस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने संतों को शांत कराया। करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक में उनकी सभी मांगे मानने के भरोसे पर संत शांत हुए। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि सरकार कुंभ को लेकर पूरी तरह गंभीर है और जल्दी ही सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे।