हरिद्वार। रामालय न्यास के माध्यम से अयोध्या में रामलला के जन्म स्थल पर मंदिर बनाने में विफल रहे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अब बाल राम का मंदिर बनाने का निर्णय लिया है। इसलिए चंदन का बाल राम मंदिर बनाकर तैयार कराया गया है। इस मंदिर पर सोने का पतरा चढ़ाया जाएगा।
कनखल स्थित शंकराचार्य मठ के प्रवक्ता स्वामी श्रीधरानंद ने बताया कि यह चंदन का यह मंदिर ज्योर्तिमठ और द्वारिका मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने काशी में तैयार कराया है। इस मंदिर को वर्तमान में परमहंसी गंगा आश्रम में रखा गया है। इस मंदिर पर सोने का पतरा चढ़ाने का काम शीघ्र शुरू किया जाएगा। इसके लिए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के संयोजन में स्वर्ण एकत्रित करने का काम निरंतर जारी है।
श्रीधरानंद ने बताया कि कुछ समय पूर्व चंदन और स्वर्ण का मंदिर बनाने का प्रस्ताव सभी राम भक्तों के बीच शंकराचार्य द्वारा रखा गया था। इसके लिए काशी सहित देश के विभिन्न भागों से एक-एक ग्राम स्वर्ण एकत्रित किया गया है। मंदिर बन जाने के बाद इस मंदिर में भगवान राम के बाल स्वरूप को विराजित किया जाएगा।
अखाड़ा परिषद ने डीएम को सौंपा समाधिस्थल के लिए भूमि का प्रस्ताव
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने संतों के समाधि स्थल के लिए भूमि का प्रस्ताव डीएम के जरिये शासन को भेजा है। उन्होंने नीलधारा के पास स्थित भूखंड को वरीयता दी गई है। बैरागी द्वीप के भूखंड पर सांप, अजगर आदि निकल आने की वजह से इस स्थल को प्राथमिकता में नहीं रखा गया है।
परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि की अगुवाई में संतों ने इस संबंध में प्रस्ताव डीएम को सौंपा। प्रस्ताव पर सभी अखाड़ों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर है। अखाड़ा परिषद ने मांग की है कि बरसात के सीजन से पहले चार हेक्टेयर जमीन परिषद को सौंप दी जाए।
साथ ही कहा कि इस जमीन पर चारदीवारी का कार्य भी प्रशासन करे। श्रीमहंत हरि गिरि ने कहा कि दशनाम संन्यास परिषद जल्द से जल्द गंगा नदी में जल समाधि देने का कार्य बंद करना चाहती है। यह तभी संभव है, जब जमीन को जल्द से जल्द विकसित कर परिषद को सौंपा जाए।