देहरादन। संवाददाता। दीपावली के ग्यारह दिन बाद मनाए जाने वाला त्यौहार है ईगास जिसे (बग्वाल) भी कहा जाता है। इगास (एकादशी) पर्व पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन के चलते विलुप्ति के कगार पर है। जो लोग मैदानी क्षेत्रों में पलायन कर चुके हैं, वह भी इस पारंपरिक पर्व को भूलते जा रहे हैं। पहाड़ की इस इगास को जिंदा रखने के लिए नौ संगठनों ने एकजुट होकर 31 अक्टूबर को इगास मनाने का निर्णय लिया है।
इस संबंध में रविवार को नौ संगठनों ने संयुक्त रूप से आयोजित पत्रकार वार्ता में इगास मनाने की जानकारी दी। संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि इगास का आयोजन बाईपास रोड के पास कुंजापुरी विहार लेन-तीन में किया जाएगा। इगास यानी एक तरह की दीपावली पर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे, बल्कि इसकी जगह भैलो खेला जाएगा।
इसके साथ ही इगास पर बनाए जाने वाले पकवान जैसे-स्वाले, दाल के पकोड़े आदि तैयार कर उन्हें परोसा जाएगा। इगास के माध्यम से लोगों से पहाड़ी संस्कृति से जुड़े रहने की अपील भी की जाएगी। पत्रकार वार्ता में लक्ष्मण सिंह रावत, विजय भूषण उनियाल, गणेश, विशालमणि नैथानी, कल्याण सिंह रावत श्मैतीश्, एसपीएस नेगी, कृष्णानंद भट्ट, राजेंद्र रावत, शेर सिंह नेगी, सचिन थपलियाल, डीएस रावत, नीरज उनियाल, दीपक कैंतुरा आदि उपस्थित रहे।