कौथिग में दिखें परम्परागत नृत्यों के मनोहर दृश्य

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देहरादून। संवाददाता। परेड मैदान में चल रहे सात दिवसीय कौथिग के अंतिम दिन जहां पारंपरिक नृत्य की छटा बिखरी, वहीं ढोल-दमाऊ, मसकबीन, रणसिंघा जैसे लोक वाद्यों की मनमोहक जुगलबंदी ने उपस्थित जनसमुदाय को भावविभोर कर दिया। इस दौरान हर कोई लोक के रंग में सराबोर नजर आया। समापन पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का खूब झुमाया।

कौथिग-2017 की समापन संध्या का शुभारंभ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दीप प्रज्वलित कर किया। शुरुआत में टिहरी के ढोल वादक सोहन लाल व लोक कलाकार रामचरण ने साथियों के साथ नौ से अधिक लोक वाद्यों की हृदयस्पर्शी प्रस्तुति दी। ढोल-दमाऊ, मसकबीन, रणसिंघा, भंकोरा, शहनाई, बिणई, मोछंग, हुड़का, शंख जैसे पारंपरिक लोक वाद्यों की जुगलबंदी पर हर किसी कदम खुद-ब-खुद थिरक उठे। इसके बाद युवा कलाकारों ने कई लोक नृत्यों की प्रस्तुति से लोकरंग की छटा बिखेरी।

महिलाओं ने दीपावली के दौरान होने वाले पारंपरिक भैलो नृत्य के साथ गायन एवं वादन की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। इसके बाद उन्होंने पांडाल में भैलो की यादगार प्रस्तुति दी। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो हम सुंदर पर्वतीय अंचल की सैर कर रहे हैं। भैलो की चिंगारियों के बीच बिताया यह क्षण हर किसी के लिए अविस्मरणीय रहा।

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