हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में छिड़ी रार और एक पक्ष के अलग होकर समानांतर परिषद का गठन कर लेने से संत समाज भी बेचैन है। संत जल्द से जल्द परिषद में एका के पक्ष में है और इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिए गए हैं। दोनों पक्षों से बातचीत की जा रही है। संतों ने उम्मीद जताई कि जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे।
श्रीनिरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद संत-महात्माओं की सर्वोच्च संस्था है। संस्था सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और कुंभ जैसे पर्व के लिए भी व्यवस्था आदि का कार्य करती है। यदि परिषद में बिखराव आएगा तो धार्मिक परंपराओं के पालन के लिए बनाई गई व्यवस्था में व्यवधान पैदा होगा। उन्होंने बताया कि सभी अखाड़ों के प्रमुख पदाधिकारियों से बातचीत कर समस्या के समाधान का प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल बातचीत सकारात्मक रही है।
श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रनंद गिरि भी दोनों पक्षों से बातचीत कर समाधान का रास्ता तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस रार का संदेश संत समाज के साथ-साथ बाहर भी ठीक नहीं जा रहा है। कोई भी इस स्थिति से प्रसन्न नहीं है। पहले भी फूट पड़ी थी, लेकिन बाद में सभी एक हो गए थे। इस बार भी ऐसा ही होगा, यह मतभेद है, मनभेद नहीं।
हरिसेवा धाम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद ने बताया कि यह वैचारिक मतभेद है, किसी पद या कुर्सी की लालसा नहीं। दोनों ही अखाड़ा परिषद में विद्वान और प्रखर संत शामिल हैं। दोनों ही एकता के हिमायती भी हैं, कुछ एक मुद्दों पर मत भिन्नता है। समस्या का समाधान हो जाएगा।
श्रीपंचायती आनंद अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि ने कहा कि संत-महात्माओं की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में विचार भिन्नता से उत्पन्न हुई अप्रिय स्थिति का कारण मतभेद है, यह ज्यादा दिन नहीं रहने वाला। अखाड़ा परिषद की एकता को वरिष्ठजन न सिर्फ चिंतित हैं, बल्कि एकता को कायम करने, उसे बरकरार रखने को प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जल्द इसके सकारात्मक नतीजे सामने आ जाएंगे, यह क्षणिक आवेग था, जो समय के साथ समाप्त हो जाएगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, संत समाज और हिन्दू जन-मानस एक था और एक ही रहेगा, इसमें दो फाड़ लंबे समय तक नहीं रह सकता, जल्द एकता कायम हो जाएगी।
मामला लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पालन करने का
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से अलग होकर बनी नई परिषद के अध्यक्ष और श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि पहले भी आपसी मतभेद के कारण अखाड़ा परिषद दो फाड़ हो चुकी है। यह पद या कुर्सी की लड़ाई नहीं थी, इसलिए मतभेद दूर होते ही सभी एक हो गए। इस बार भी मामला वैचारिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पालन से जुड़ा हुआ है। एकता के लिए बातचीत से जल्द सर्वमान्य हल निकाल लिया जाएगा, सभी अखाड़ों और उनके पदाधिकारियों का सम्मान रखते हुए अखाड़ा परिषद की एकता को कायम कर दिया जाएगा।