हरिद्वार। बहुत जल्द हरिद्वार जिले में पैदा होने वाली सब्जियां दुबई के लोग खाएंगे। उद्यान विभाग जिले की सब्जियों को विदेशों में भी निर्यात करने की तैयारी में जुटा है। इसके तहत 24 जुलाई को पहली बार एपीडा के माध्यम से हरिद्वार जिले की सब्जियों का कंसाइनमेंट दुबई भेजा गया। उद्यान अधिकारियों का मानना है कि यह डील सफल होती है तो यह हरिद्वार जिले के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
गौरतलब है कि कृषि के मामले में हरिद्वार जिला पहले से ही प्रदेश में पहले स्थान पर रहा है। वहीं सब्जियों और बागवानी में भी हरिद्वार पीछे नहीं रहा है। बहुत जल्द हरिद्वार जिले की सब्जियां दुबई के बाजारों में बिकती नजर आएंगी।
दरअसल उद्यान विभाग उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के माध्यम से उत्तराखंड की सब्जियों का कंसाइनमेंट दुबई भेज रहा है। मुख्य कृषि अधिकारी नरेंद्र यादव ने बताया कि अभी तक उत्तराखंड की सब्जियां राष्ट्रीय स्तर पर भेजी जाती रही हैं।
पहली बार प्रदेश की सब्जियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भेजी जा रही हैं। इसमें हरिद्वार जिले से भी सब्जियों का कंसाइनमेंट एपीडा के माध्यम से दुबई निर्यात किया जा रहा है। यह डील अगर कारगर होती है तो बहुत जल्द विदेशों में हरिद्वार की सब्जियों की बिक्री होगी। उन्होंने बताया कि 24 जुलाई को सब्जियां विमान से दुबई भेजी गईं हैं।
हरिद्वार जिला बनेगा गढ़वाल मंडल का हब
एपीडा पहले चरण में गढ़वाल मंडल से ही सब्जियों का निर्यात करेगा। ऐसे में 24 को कंसाइनमेंट भेजा गया है, उसमें गढ़वाल मंडल के किसानों की सब्जियां शामिल हैं। मुख्य उद्यान अधिकारी नरेंद्र यादव ने बताया कि पहले चरण में गढ़वाल मंडल को लिया गया है।
इसके लिए हरिद्वार जिला मुख्य बाजार बनाया जाएगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सब्जियों का व्यापार करने के लिए हरिद्वार जिले की भौगोलिक परिस्थितियां अनुकूल हैं। यहां सब्जियों का ट्रांसपोर्ट करने के लिए रेलवे से लेकर एयरपोर्ट भी बहुत नजदीक है।
खीरा और तुरई रखती है अलग पहचान
वैसे तो हरिद्वार जिले में बहुत सारी सब्जियों का उत्पादन होता है, लेकिन इनमें खीरा और तुरई अपनी विशेष पहचान रखती है। रुड़की उद्यान अधिकारी राजेश प्रसाद जसोला ने बताया कि यहां खीरा और तुरई का साइज सामान्य रहता है। साथ ही इसकी गुणवत्ता भी बढ़ी हुई होती है। जिले में हाईब्रिड के बजाय देसी खीरे का ज्यादा उत्पादन होता है। इसकी बाजार में मांग भी अधिक होती है।