अस्थि विसर्जन के लिए भी वीआईपी प्रोटोकॉल

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कोरोना काल में अफसरों और नेताओं को भले ही मरीजों के इलाज की परवाह नहीं है, लेकिन अपनों के अस्थि विसर्जन के लिए उन्हें वीआईपी प्रोटोकाल जरूर चाहिए। वीआईपी घाट पर स्नान की जगह अब नेता-अफसरों के अपनों की अस्थियां विसर्जित कराई जा रही हैं। इनमें नॉन कोविड और कोविड दोनों शवों की अस्थियां शामिल हैं।अस्थि विसर्जन के लिए सिंचाई विभाग में कोई एंट्री नहीं हो रही है। कर्मचारियों पर दबाव डलवाकर वीआईपी प्रोटोकॉल का पालन भी करवाया जा रहा है। इससे वीआईपी घाट पर तैनात कर्मचारियों में संक्रमण फैलने की दहशत बनी हुई है। हाल यह है कि कर्मचारी ड्यूटी पर जाने से कतरा रहे हैं।हिंदू मान्यता के अनुसार, हरिद्वार मोक्ष धाम है। देशभर से लोग गंगा में अपनों की अस्थियां विसर्जित करने आते हैं। हरकी पैड़ी और कनखल स्थित अस्थि प्रवाह घाट और वीआईपी घाट पर अस्थियां प्रवाहित की जाती हैं। वीआईपी घाट यूपी सिंचाई विभाग के अधीन है।

घाट पर प्रवेश करने के लिए कागजी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। कोविड कर्फ्यू में हरकी पैड़ी समेत सभी घाटों पर स्नान करने वालों की संख्या गिनती की है, लेकिन देशभर से लोग अपनों की अस्थियां लेकर आ रहे हैं। वीआईपी घाट पर बिना एंट्री (कागजी औपचारिकताएं पूरी किए बिना) अस्थियों का विसर्जन हो रहा है।

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