आज उत्‍तराखंड पहुंचेंगे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, 200 वर्ष बाद जोशीमठ में एक साथ होंगे तीन शंकराचार्य

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हरिद्वार: ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अभिनंदन समारोह में दो सौ वर्ष बाद तीन पीठ के शंकराचार्य जोशीमठ में एक साथ होंगे।

जोशीमठ में होगा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का गद्दी अभिषेक
यहां स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का गद्दी अभिषेक भी किया जाएगा। इसके बाद हरिद्वार पहुंचने पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का नगर भ्रमण के दौरान संत समाज अभिनंदन और स्वागत करेगा।

यह रहेगा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कार्यक्रम
शंकराचार्य बनने के बाद 15 अक्टूबर यानी आज शनिवार को पहली बार उत्तराखंड की धरती पर आगमन और रात्रि विश्राम होगा। 16 अक्टूबर को वह बदरीनाथ से केदारनाथ का दर्शन करेंगे और 17 अक्टूबर को भव्य अभिनंदन समारोह होगा।

17 अक्टूबर को जेपी मैदान में होगा अभिनंदन समारोह
मीडिया प्रभारी (उत्तर भारत) डाक्टर शैलेंद्र योगी उर्फ योगीराज सरकार ने बताया कि 17 अक्टूबर को पूर्वाह्न साढ़े दस बजे से दोपर डेढ़ बजे तक जेपी मैदान, रविग्राम, ज्योतिर्मठ, चमोली में आयोजित अभिनंदन समारोह में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के आमंत्रण को स्वीकार कर श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य महास्वामी विधुशेखर भारती महाराज और पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य सदानंद सरस्वती भी मौजूद रहेंगे।

वेद एवं पुराणों के प्रखंड विद्वान हैं अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज वेद एवं पुराणों के प्रखंड विद्वान हैं और जगतगुरु शंकराचार्य के सानिध्य का लाभ उन्हें हमेशा प्राप्त हुआ है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रनेता भी रहे हैं अविमुक्तेश्वरानंद
ज्योतिष पीठ एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के दूसरे दिन नए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को घोषित किया गया था। अविमुक्तेश्वरानंद (उमाकांत पाण्डेय) बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रनेता भी रहे हैं और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के मूल निवासी हैं।

सदा धर्म रक्षार्थ आवाज उठाने के लिए जाने जाते हैं
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद धर्म रक्षार्थ सदा आवाज उठाने के लिए जाने जाते हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रतिनिधि शिष्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए आंदोलन तो कई किए लेकिन इन दोनों ने उन्हें राष्ट्रीय ही नहीं वैश्विक ख्याति दी।

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