रूड़की। मंगलौर पुलिस ने फॉरेस्ट भर्ती परीक्षा में नकल कराने का झांसा देने के मामले में सरगना मुकेश सैनी को गिरफ्तार कर लिया है। जिसका खुलासा एसएसपी आज दोहपर तीन बजे करेंगे।
गौरतलब है कि मंगलौर के नारसन खुर्द में चल रहे कोचिंग सेंटर चलाने वाले मुकेश सैनी द्वारा फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल कराने का झांसा देने का मामला प्रकाश में आया था। दो युवकों ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की थी। साथ ही संचालक मुकेश सैनी समेत आठ लोगों पर एक लाख रुपये लेकर नकल कराने का झांसा देने की भी शिकायत की थी।
इस मामले में मंगलौर कोतवाली में मुकेश सैनी समेत आठ पर केस दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच सीओ लक्सर अभिनव वर्मा को दी गई थी। तभी से पुलिस फरार चल रहे गिरोह के सरगना मुकेश सैनी समेत अन्य की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही थी। जिसके बाद पुलिस ने बृहस्पतिवार की देर रात आरोपी मुकेश सैनी को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि आरोपी से कई राज का खुलासा हुआ है। आरोपी ने कई युवकों से अन्य विभाग की परीक्षा में नकल कराने का झांसा देकर मोटी रकम ली थी।
परीक्षा आयोग ने ली, रिजस्ट पुलिस की जांच पर निर्भर
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में शामिल हुए करीब डेढ़ लाख युवाओं की एक अदद नौकरी का सपना अब पुलिस की जांच पर निर्भर है। करीब तीन साल का इंतजार कर चुके इन युवाओं के लिए राहत यह है कि परीक्षा के निरस्त होने के आसार कम हैं।
फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन 2017 में मांगे गए थे। उस समय अधीनस्थ चयन आयोग को करीब डेढ़ लाख आवेदन मिले। परीक्षा होने से पहले ही वन विभाग ने परीक्षा के जरूरी मानकों में बदलाव किया। इसके बाद संशोधित विज्ञापन जारी हुआ तो शारीरिक परीक्षा का पेच फंस गया।
नियम यह था कि पहले शारीरिक परीक्षा होगी, फिर लिखित। वन विभाग का कहना था कि डेढ़ लाख युवाओं की शारीरिक परीक्षा कम से कम विभाग तो नहीं करा सकता। इसके बाद नियमावली में बदलाव हुआ। नए नियम के तहत तय किया गया कि पहले लिखित परीक्षा होगी और इसके बाद शारीरिक परीक्षा। इस खींचतान में तीन साल निकल गए।
अब लिखित परीक्षा में नकल का मामला उठने से रोजगार का सपना देख रहे डेढ़ लाख युवाओं को फिर झटका लगा है। इनका इंतजार तो तयशुदा रूप से बढ़ गया है। साथ ही परीक्षा परिणाम भी एसआईटी की जांच पर निर्भर हो गया है। एसआईटी की जांच में यह निकला कि बड़े पैमाने पर नकल हुई तो परीक्षा रद्द भी हो सकती है।
फिलहाल इन युवाओं के लिए राहत की बात इतनी है कि अभी तक की जांच में बड़े पैमाने पर नकल होने की पुष्टि नहीं हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, नकल के लिए ब्ल्यू टूथ का इस्तेमाल किया गया। इस डिवाइस का उपयोग बड़े पैमाने पर नकल के लिए करना संभव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का भी है आदेशः बड़े पैमाने पर नकल हो तभी निरस्त हो परीक्षा
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी का कहना है कि पुलिस की जांच के बाद ही आयोग इस पर फैसला करेगा। इतना स्पष्ट है कि बड़े पैमाने पर नकल होने पर ही परीक्षा निरस्त की जा सकती है। यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी है।
वन दरोगा पद पर प्रमोट होने के बाद भी निभानी पड़ रही फॉरेस्ट गार्ड की ड्यूटी
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में उपजे विवाद का ही सबब है कि प्रमोट होकर वन दरोगा बने कई कर्मियों को फॉरेस्ट गार्ड की ड्यूटी निभानी पड़ रही है। इसके साथ ही जंगल की आग का बेहतर प्रबंध का सपना संजो रहे वन विभाग को भी झटका लगा है।
वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड केे करीब 3650 पद हैं। इनमें से 1218 पद खाली हैं। इन पदों पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से जल्द भर्ती होने की उम्मीद वन विभाग को थी। इसी के चलते वन विभाग ने कई-कई साल से फॉरेस्ट गार्ड के पद पर काम कर रहे कई वन कर्मियों को प्रमोट कर वन दरोगा बना दिया। नई भर्ती होने तक इनमें से कइयों को फॉरेस्ट गार्ड की ड्यूटी अब भी निभानी पड़ रही है। कारण यह भी है कि प्रदेश में अब फायर सीजन शुरू हो गया है। विभाग में फॉरेस्ट गार्ड की कमी है। ऐसे में प्रमोट होने वाले कर्मियों को प्रभारी के रूप में काम करना पड़ रहा है।
एक वन अधिकारी के मुताबिक जंगल की आग के मामलों में निगरानी की सबसे मजबूत कड़ी फॉरेस्ट गार्ड ही हैं। करीब एक हजार फायर वाचर तैनात किए जा चुके हैं। 1218 फॉरेस्ट गार्ड और मिल जाते तो फायर वाचर की संख्या बढ़ाई जा सकती थी।
वन अधिकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कुलदीप पंवार के मुताबिक स्टाफ की कमी का सामना वन विभाग को कई स्तर पर करना पड़ रहा है। पहले ही वन विभाग को पिछले तीन साल से इन नियुक्तियों का इंतजार करना पड़ा। अब ये नियुक्तियां लटकीं तो अन्य प्रमोशन भी प्रभावित होंगे। वन विभाग के प्रमुख वन संरक्षक मानव संसाधन मनोज चंद्रन के मुताबिक अभी कुछ और फॉरेस्ट गार्ड के प्रमोशन होने बाकी हैं।
बदली व्यवस्था, भर्ती परीक्षा में नहीं हुआ सुधार
समूह ‘ग’ पदों की भर्ती में पारदर्शिता और नकल रोकने के लिए व्यवस्था बदलने के बाद भी लिखित परीक्षाओं में सुधार नहीं हुआ है। पिछले तीन सालों में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भर्ती परीक्षा के सिस्टम में कई बदलाव किए हैं। लेकिन परीक्षा को फुलप्रूफ बनाने में आयोग की रणनीति कारगर साबित नहीं हुई है।
बुनियादी सुविधाओं और स्टाफ की कमी के बावजूद भी चयन आयोग ने भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए व्यवस्थाओं में बदलाव किया है। सबसे पहले आयोग ने सभी परीक्षा केंद्रों पर उम्मीदवारों की उपस्थिति के लिए बायोमीट्रिक सिस्टम को लागू किया। इसके बाद ओएमआर शीट की तीन कॉपी की व्यवस्था बनाई। परीक्षा केंद्रों पर नकल रोकने के लिए पहली बार ग्राम पंचायत विकास अधिकारी पद की परीक्षा में कुछ केंद्रों पर जैमर का इस्तेमाल किया गया था।
परीक्षा में गड़बड़ी के पांच मामलों में आयोग ने दर्ज कराया मुकदमा
चयन आयोग ने अब तक भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी करने पर पांच मामलों में मुकदमा दर्ज किया है। इसमें जूनियर इंजीनियर, टेकिभनकल ग्रेड, एलटी टीचर, वीपीडीओ और स्नातक स्तर के पदों की भर्ती परीक्षा शामिल है।