उत्तराखंड में रुड़की के जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, वहीं पर ऑक्सीजन की किल्लत की घटनाएं सामने आने लगी है। रुड़की में विनय विशाल हॉस्पिटल में गुरुवार को ऑक्सीजन खत्म होने में एकाध घंटे का समय शेष रहा गया था।इससे वेंटिलेटर पर सांस ले रहे करीब 50 मरीजों की सांसें अटक गई। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन के हाथ पांव फूल गए। हालांकि समय रहते ऑक्सीजन पहुंची तो अस्पताल प्रबंधक और मरीजों की जान में जान आई। वहीं शाम के समय फिर ऐसी स्थिति बन गई कि अस्पताल में तीन ही ऑक्सीजन के सिलिंडर शेष रह गए। हालांकि इस बार प्रशासन से वार्ता के बाद किसी तरह अस्पताल को फिर से ऑक्सीजन मुहैया कराई गई।
रुड़की में विनय विशाल हॉस्पिटल, आरोग्यम हॉस्पिटल और सिविल अस्पताल में कोविड के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। गुरुवार दोपहर विनय विशाल हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म होने लगी और प्लांट से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं पहुंच पाई। इसके चलते अस्पताल में भर्ती पचास से अधिक मरीजों की जान पर खतरा मंडरा गया। अस्पताल मालिक डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि उनके अस्पताल को रोजाना 400 सिलिंडर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।बुधवार की शाम से ही ऑक्सीजन की किल्लत शुरू हो गई थी। गुरुवार को स्थिति और भी गंभीर हो गई। पूरी ऑक्सीजन खत्म होने में आधा घंटा ही बचा था कि किसी तरह ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई और मरीजों को उपचार दिया गया। इसके बाद गुरुवार की शाम को फिर से मात्र तीन सिलिंडर ऑक्सीजन के शेष रह गए। प्लांट में बात की गई तो पता चला कि आंधी आने के कारण बिजली गुल होने से ऑक्सीजन नहीं बन पा रही है।इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता की। इस पर अधिकारी हरकत में आए और प्लांट प्रबंधन से वार्ता की गई। बिजली सुचारु होने के साथ ही देर रात तक ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई।