हरिद्वार: गोवर्धन पुरी मठ पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने ज्ञानवापी मुद्दे पर काशी और मथुरा के लिए मुस्लिमों को बड़ा दिल दिखाने की बात कही। कहा कि वह मुस्लिम समुदाय से भी यह कहना चाहते हैं कि वह काशी और मथुरा पर अपना बड़ा दिल दिखाएं, क्योंकि काशी भगवान विश्वनाथ की और मथुरा श्री कृष्ण की स्थली हैं।
जगद्गुरु स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ अपनी 14 दिवसीय चारधाम यात्रा पूर्ण कर शनिवार को हरिद्वार लौटे। जहां वे हरिद्वार प्रवास के लिए बैरागी कैंप में स्थित निर्मोही अखाड़ा पहुंचे। उन्होंने अपनी यात्रा के संबंध में चर्चा करते हुए जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का उनको यात्रा के दौरान दी गई सुविधाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया, वहीं यमुनोत्री धाम की व्यवस्थाएं बढ़ाने के लिए उनको सलाह दी। साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को लेकर किए जा रहे पंजीकरण को भी सरल करने की बात कही। जिससे दूरदराज से आए लोग चारधाम के बिना दर्शन किए ना लौटे।
यमुनोत्री धाम में मार्ग को चौड़ा किया जाना जरूरी
जगद्गुरु स्वामी अधोक्षजानन्द देवतीर्थ ने उत्तराखंड की सरकार को चारधाम यात्रा में सुविधाएं बढ़ाने के लिए भी सलाह दी उन्होंने कहा कि यमुनोत्री धाम में मार्ग बहुत संकरा है उसको चौड़ा किया जाना अति आवश्यक है साथ ही वहां पर लगातार हो रही वर्षा से श्रद्धालुओं को बचाने के लिए शेड की भी व्यवस्था की जानी चाहिए, उन्होंने कहा कि यमुनोत्री धाम में रोपवे की व्यवस्था कराने के लिए सरकार से वार्ता करने की बात भी लोगों ने उनसे की जिस पर वे जल्द ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र भी लिखेंगे। साथ ही उन्होंने चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण की आवश्यकता पर बोलते हुए कहा कि पंजीकरण की व्यवस्था कुछ सरल की जानी आवश्यक है ताकि देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं बिना दर्शन के ना लौटे।
किसी की भावनाओं को नहीं पहुंचाना चाहते ठेस
स्वामी अधोक्षजानन्द देवतीर्थ ने कहा कि जिस तरह से अयोध्या में राम का जन्म हुआ लेकिन मध्यकाल में स्थितियां बदली थी, जिनको अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा साफ कर दिया गया है और अब वहां पर भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे मुसलमानों से कहना चाहते हैं कि वो इस सच्चाई को समझें कि काशी भगवान विश्वनाथ और मथुरा श्री कृष्ण भगवान की स्थली हैं और यदि वहां पर कोई अवशेष या निशानदेही है तो वे मध्यकाल में ताकत से बनवाई गई होंगी। अब समय दूसरा आ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं इसलिए वे उन लोग को यह कहना चाहते हैं जो रोज यह बातें कहते हैं कि अमुक जगह शिवलिंग या कोई अन्य मूर्ति मिली है, यह बातें ना करें, इससे समाज में आपसी वैमनस्य फैलाती हैं।