हरिद्वार। महाकुंभ शुरू होने के साथ ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती शुक्रवार को हरिद्वार पहुंच जाएंगे। हरिद्वार कनखल स्थित ज्योतिष पीठ शंकराचार्य मठ में प्रवास करेंगे।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि जगद्गुरु शुक्रवार शाम वाया मेरठ से हरिद्वार आएंगे। प्रेम नगर पुल के पास से ढोल नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया जाएगा। वहां से जगद्गुरु अपने मठ में जाएंगे। आठ अप्रैल की दोपहर जगद्गुरु मंगल शोभायात्रा के साथ अपनी छावनी में प्रवेश करेंगे।
कुंभ अवधि तक छावनी में ही रहेंगे। स्वामी अविमुक्तानंद सरस्वती ने बताया कि शुक्रवार से छावनी परिसर में अति हरिहर महायज्ञ शुरू हो जाएगा। नौ दिनों तक चलने वाले महायज्ञ के लिए नौ कुंड बनाए गए हैं।
नौ दिनों तक चलने वाले महायज्ञ में बनारस से पहुंचे 131 ब्राह्मण 30 लाख आहुतियां देंगे। इसके बाद अयुत चंडी महायज्ञ नौ दिनों तक चलेगा और इसमें 351 ब्राह्मणों की ओर से एक करोड़ आहुतियां दी जाएंगी। आखिर में तीन दिन पवित्र ईष्टी यज्ञ होगा। आचार्य धनंज्य शास्त्री और आचार्य सुनील दीक्षित की देखरेख में महायज्ञ होंगे।
राजनीतिक नहीं धार्मिक हो गया कोरोना
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने केंद्र सरकार की कोविड एसओपी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना भी राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक हो गया है।
पश्चिम बंगाल और आसाम में कोरोना नहीं जा रहा है। हरिद्वार महाकुंभ में कोरोना फैल रहा है। शराब की दुकानों के बाहर लंबी लाइनें लग रही हैं, मंदिरों में संक्रमण का खतरा हो रहा है।
पत्रकारों से बातचीत में स्वामी अविमुक्तानंद ने कहा कि चुनावी राज्यों में राजनीतिक रैलियां और सभाएं हो रही हैं। वहां कोरोना का कोई खतरा नहीं है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा 12 साल बाद आने वाले कुंभ मेले के लिए एसओपी लागू कर दी है।
सरकार की मंशा साफ नहीं है। 72 घंटे पूर्व की कोविड आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट और पंजीकरण की अनिवार्यता श्रद्धालुओं को हरिद्वार आने से रोकना भर है।