पतंजलि योगपीठ का दावा : आयुर्वेद से हो सकता है कोरोना का सफल इलाज

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आचार्य बालकृष्ण ने कहा- इन दवाओं से कोविड-19 का इलाज और उससे बचाव दोनों ही संभव हैं। स्वस्थ व्यक्ति इसका इस्तेमाल करे तो उसे भी कोविड-19 के संक्रमण का खतरा नहीं रहता। इन्हें 2-1-1-3 के अनुपात में सेवन किया जा सकता है।

हरिद्वार :  पतंजलि योगपीठ ने आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है कि आयुर्वेदिक की दवाओं से न सिर्फ कोविड-19 का शत-प्रतिशत इलाज संभव है, बल्कि इसके संक्रमण से बचने को इन दवाओं का बतौर वैक्सीन भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान में इस पर तीन माह तक चले शोध और चूहों पर कई दौर के सफल परीक्षण के बाद यह निष्कर्ष सामने आया है। बताया कि अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी और स्वासारि रस कानिश्चित अनुपात में सेवन करने से कोरोना संक्रमित व्यक्ति को पूरी तरह स्वस्थ किया जा सकता है। 12 से अधिक शोधकर्ताओं ने आयुर्वेदिक गुणों वाले 150 से अधिक पौधों के 1550 कंपाउंड पर दिन-रात शोध कर यह सफलता हासिल की। यह शोधपत्र अमेरिका के वायरोलॉजी रिसर्च मेडिकल जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा गया है, जबकि, अमेरिका के ही इंटरनेशनल जर्नल ‘बायोमेडिसिन फार्मोकोथेरेपी’ में इसका प्रकाशन हो चुका है।

पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख एवं उपाध्यक्ष डॉ. अनुराग वार्ष्‍णेय ने बताया कि कोविड-19 के इलाज की सारी विधि महर्षि चरक के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘चरक संहिता’ और आचार्य बालकृष्ण के वर्तमान प्रयोगों एवं सोच पर आधारित है।

डॉ. अनुराग वार्ष्‍णेय ने बताया कि कोविड-19 कोरोना फैमिली का सबसे नया एवं खतरनाक वायरस है। इसकी प्रकृति इससे पहले आए इसी फैमिली के ‘सॉर्स’ वायरस से काफी मिलती-जुलती है। डॉ. अनुराग वार्ष्‍णेय ने बताया कि उनकी टीम को कोविड-19 के इलाज और दवा की खोज के लिए सॉर्स वायरस पर हुए शोधों से काफी मदद मिली। इसके बाद सॉर्स वायरस और कोविड-19 की कार्यप्रणाली पर शोध किया गया। इसमें दोनों की समानता और अंतर को तय करने के साथ ही कोविड-19 की मानव शरीर में कार्यप्रणाली एवं मारक क्षमता का विस्तृत अध्ययन किया गया।

जनवरी में शुरू हुआ था शोध

डॉ. वार्ष्‍णेय ने बताया कि योग गुरु बाबा रामदेव की सलाह एवं निर्देश पर आचार्य बालकृष्ण के सानिध्य में जनवरी 2020 से इस पर शोध आरंभ हुआ। शोध में पांच महिलाओं समेत कुल 14 विज्ञानियों की टीम शामिल थी। करीब तीन माह तक चले सघन शोध के बाद ये नतीजे हासिल किए गए।

‘नोजल ड्रॉप’ के रूप में कर सकते हैं इस्तेमाल

डॉ. वार्ष्‍णेय ने बताया कि इसके अलावा हम अति सुरक्षा के लिए आयुर्वेदिक अणु तेलक भी ‘नोजल ड्रॉप’ के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी सुबह, दोपहर, शाम नाक में डाली गई चार-चार बूंदें रामबाण का काम करेंगी। उन्होंने दावा किया कि ये दवाएं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रमुख संस्थानों, जर्नल आदि से प्रामाणिक हैं।

 

 

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