हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कोरोना के इलाज में कारगर कोरोनिल के बाद पतंजलि जल्द ही बाजार में ब्लैक फंगस की दवा उतारेगी। ब्लैक फंगस की दवा बनाने का काम पतंजलि रिसर्च सेंटर में तेजी से चल रहा है।
दावा किया कि दवा के सार्थक परिणाम भी सामने आ गए हैं। आयुर्वेदिक दवा ब्लैक फंगस ही नहीं सभी तरह के फंगस में कारगर होगी। कोरोना की पहली लहर में पतंजलि ने कोरोनिल बाजार में उतारी थी। दावा किया था कि कोरानिल कोविड के इलाज में कारगर है।
हालांकि, इसको लेकर काफी विवाद हुआ। कोविड की दूसरी लहर में भी कोरोनिल की मांग बढ़ी और मरीज स्पोर्टिंग दवा के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। कोरोनाकाल में ही ब्लैक फंगस महामारी के रूप में मौत बनकर मंडरा रही है।
दावा : पतंजलि की ब्लैक फंगस की दवा बाजार में आ जाएगी
ब्लैक फंगस का इंजेक्शन काफी महंगे हैं। इसके बाद भी लोगों की मौत हो रही है। ब्लैक फंगस महामारी के बीच पतंजलि के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है जल्द ही पतंजलि की ब्लैक फंगस की दवा बाजार में आ जाएगी।
युद्ध स्तर पर दवा बनाने का काम चल रहा है। शुरुआती सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। आयुर्वेदिक दवा ब्लैक फंगस ही नहीं सभी तरह के फंगस में काम करेगी।
घर में योग करो और निरोग रहो
स्वामी रामदेव ने कहा कि बीमार होने पर लोग कहते हैं अस्पतालों में जाओ। दवा खाओ, ये टेस्ट कराओ। इतना 25-50 लाख रुपये हमें दे जाओ। लूटमार मची हुई है। बाबा ने कहा कि सब अपने घर पर रहकर योग करो और फिर देखो कैसे निरोग होगे। उन्होंने कहा मैं थोड़े दिन मौन योग साधूंगा।
रामदेव ने अब ज्योतिष पर साधा निशाना
योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि सारे मुहूर्त भगवान ने बना रखे हैं। ज्योतिषी काल, घड़ी, मुहूर्त के नाम पर बहकाते रहते हैं। अब मैं दूसरा सोट्टा नहीं उठाऊंगा। नहीं तो दूसरे वाले पिल पड़ेंगे मेरे पीछे। यह भी पूरे एक लाख करोड़ की इंडस्ट्री है।
बैठे-बैठे ही किस्मत बताते हैं। जब मोदी जी ने पांच सौ और एक हजार के नोट बंद किए तो किसी को पता नहीं चला। किसी ज्योतिषी ने यह भी नहीं बताया कि कोरोना आने वाला है। किसी ने नहीं बताया कि इसके बाद ब्लैक फंगस भी आने वाला है।
वह योग शिविर में साधकों से बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी ने यह नहीं बताया कि कोरोना का समाधान बाबा रामदेव कोरोनिल से देने वाले हैं। मैं तो विशुद्ध रूप से हिंदी और संस्कृत बोलता हूं। बीच-बीच में अंग्रेजी बोलने वालों को भी ठोकता हूं। क्योंकि यह बोलते थे कि हिंदी और संस्कृत बोलने वाला बड़ा आदमी नहीं बन सकता।
अब हिंदी व संस्कृत बोलने वाले ने ऐसे झंडे गाड़ दिए कि सब कहते हैं कि हिंदी पढ़नी चाहिए, संस्कृत पढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि आगे गुरुकुल में पढ़ने वाले ही देश चलाएंगे। 20-25 साल बाद बताऊंगा प्रयोग करके।