2010 से 2014 के बीच नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में शांतिकुंज प्रमुख प्रणव पंड्या के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हाईकोर्ट ने हरिद्वार के एसएसपी और एसएचओ को निर्देश दिए हैं कि वे पीड़िता का पता लगाएं और उसके बयान दर्ज कर 13 जनवरी तक कोर्ट को अवगत कराएं।
कोर्ट ने यह बताने के लिए कहा है कि पीड़िता अदालती कार्यवाही में क्यों नहीं आ पा रही है। कहीं किसी ने उसे बंदी तो नहीं बना रखा है? न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
हरिद्वार निवासी मनमोहन सिंह ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा है कि शांतिकुंज प्रमुख पंड्या ने पीड़िता को कहीं गायब करवा दिया है। इस कारण पीड़िता के बयान दर्ज नहीं हो पा रहे हैं।
बता दें कि दुष्कर्म के मामले में छत्तीसगढ़ की युवती की ओर से दिल्ली में दर्ज कराई गई एफआईआर के ममले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने डॉक्टर प्रणव पांड्या की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को पुलिस जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए थे।
इसके बाद पीड़िता की ओर से चर्चित निर्भया रेप कांड प्रकरण में आरोपियों की ओर से पैरवी कर चुके अधिवक्ता एपी सिंह ने हाईकोर्ट में अपना शपथपत्र पेश किया था। एपी सिंह ने प्रणव पांड्या की गिरफ्तारी पर लगी रोक के आदेश को निरस्त करने के लिए प्राथर्ना पत्र भी दिया था।
ये है पूरा मामला
बता दें कि दिल्ली के विवेक विहार थाने में छत्तीसगढ़ की 24 वर्षीय युवती ने शांतिकुंज के डॉक्टर और उनकी पत्नी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए पांच मई को मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि युवती (तब नाबालिग थी) वर्ष 2010 से 2014 तक शांतिकुंज में ही रही थी, उस वक्त वह खाना बनाने वाली टीम का हिस्सा थी।
युवती ने डॉक्टर पर दुष्कर्म करने और पत्नी पर मामले को छिपाए रखने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है। यह भी आरोप है कि यह सिलसिला वर्ष 2014 तक चलता रहा। ज्यादा तबीयत खराब होने पर उसे घर भेज दिया गया। उसे किसी को भी इस बारे में जानकारी देने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी।